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एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (एएमएल)

बच्चों और किशोरों में एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया क्या होता है?

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (एएमएल) खून और बोन मैरो में होने वाला एक कैंसर है। एएमएल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) के बाद बचपन में होने वाला दूसरा सबसे आम खून का कैंसर है।

संयुक्त राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 500 बच्चे एएमएल से पीड़ित पाए जाते हैं। यह वयस्कों में बहुत अधिक आम है।

बचपन में होने वाला एएमएल आमतौर पर जीवन के पहले 2 वर्षों के दौरान और किशोरावस्था वर्षों के दौरान सबसे अधिक पाया जाता है।

एएमएल माइलॉयड स्टेम सेल नामक रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। सामान्यतः, बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) रक्त-उत्पादन करने वाली स्टेम सेल का निर्माण करती है जो या तो माइलॉयड स्टेम सेल या लिम्फॉइड स्टेम सेल बन जाते हैं। माइलॉयड स्टेम सेल निम्नलिखित तीन प्रकार में से एक प्रकार की परिपक्व रक्त कोशिका बन जाती है:

  • लाल रक्त कोशिका
  • ग्रैनुलोसाइट्स नामक सफेद रक्त कोशिकाएँ
  • प्लेटलेट्स
माइक्रोस्कोप की छवि में सामान्य, बोनमैरो दिखता है

यह छवि दर्शाती है कि एक सामान्य, स्वस्थ बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) माइक्रोस्कोप के माध्यम से कैसी दिखती है।

माइक्रोस्कोप छवि एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया से पीड़ित रोगी के बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) को दर्शाती है

यह एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया से पीड़ित एक बाल रोगी की बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) है।

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया क्यों होता?

खून के कैंसर (ल्यूकेमिया) में, कैंसर की कोशिकाएँ बोन मैरो में तेजी से बढ़ती हैं। ये कैंसर कोशिकाएँ अपरिपक्व सफेद रक्त कोशिकाएँ होती हैं जिन्हें ब्लास्ट कहा जाता है। जब ऐसा होता है, तो स्वस्थ रक्त कोशिकाएँ — सफेद रक्त कोशिकाएँ, लाल रक्त कोशिकाएँ और प्लेटलेट्स — अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं।

खून बनाने की प्रक्रिया और उसमें ब्लास्ट कोशिकाएँ उत्पन्न कैसे होती हैं, यह रेखा-चित्र में दिखाया गया है। रेखा-चित्र ब्लड स्टेम सेल से शुरू होता है। बाईं ओर, यह माइलॉयड स्टेम सेल में विभाजित होती है, जो प्लेटलेट्स, लाल रक्त कोशिकाओं, माइलोब्लास्ट, और मोनोब्लास्ट में विभाजित हो जाती है। माइलोब्लास्ट सफेद रक्त कोशिकाओं में बदल जाता है (जिसे ग्रैनुलोसाइट्स भी कहा जाता है) और मोनोब्लास्ट, मोनोसाइट में बदल जाता है। ब्लड स्टेम सेल की दाईं शाखा लिम्फॉइड स्टेम सेल में जाती है, जो लिम्फोब्लास्ट (जो सफेद रक्त कोशिकाओं में बदलती है) और ब्लास्ट कोशिकाओं में बदल जाती है।

एएमएल माइलॉयड स्टेम सेल नामक रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। सामान्यतः, बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) रक्त-उत्पादन करने वाली स्टेम सेल का निर्माण करती है जो या तो माइलॉयड स्टेम सेल या लिम्फॉइड स्टेम सेल बन जाते हैं।

एएमएल माइलॉयड स्टेम सेल नामक रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। सामान्यतः, बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) रक्त-उत्पादन करने वाली स्टेम सेल का निर्माण करती है जो या तो माइलॉयड स्टेम सेल या लिम्फॉइड स्टेम सेल बन जाते हैं। माइलॉयड स्टेम सेल निम्नलिखित तीन प्रकार में से एक प्रकार की परिपक्व रक्त कोशिका बन जाती है:

  • लाल रक्त कोशिका
  • ग्रैनुलोसाइट्स नामक सफेद रक्त कोशिकाएँ
  • प्लेटलेट्स

बचपन में होने वाले एएमएल के जोखिम कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • खून के कैंसर (ल्यूकेमिया) से पीड़ित, भाई या बहन का होना या विशेष रूप से एक जुड़वां।
  • अतीत में कीमोथेरेपी या रेडिएशन से हुआ इलाज
  • माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम होना
  • कुछ वंशानुगत विकार होना

कुछ वंशानुगत विकार होना, जैसे:

  • डायमंड-ब्लैकफैन सिंड्रोम
  • पारिवारिक प्लेटलेट्स विकार
  • फ़ैंकोनी एनीमिया
  • ली-फ़्रॉमेनी सिंड्रोम
  • मिसमैच रिपेयर सिंड्रोम
  • MonoMAC सिंड्रोम
  • रोथमंड-थॉमसन सिंड्रोम
  • श्वाकमैन-डायमंड सिंड्रोम

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया के लक्षण

एएमएल में, निम्नलिखित संकेत और लक्षण हो सकते हैं:

  • बुखार
  • थकान
  • संक्रमण
  • आसानी से घाव होना या रक्तस्राव होना
  • नाक से बार-बार खून बहना
  • हड्डियों या जोड़ों में दर्द
  • रिब केज (पिंजर) के नीचे दर्द होना या भारीपन महसूस होना
  • सूजी हुई लसिका ग्रंथियाँ
  • भूख न लगना

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया रोग की पहचान करना

खून का कैंसर (ल्यूकेमिया) रोग की पहचान के लिए आमतौर पर बोन मैरो जाँच की आवश्यकता होती है। कई बार शारीरिक जांच करके, चिकित्सकीय इतिहास जान कर और खून की जाँच के परिणामों को देखने के बाद चिकित्सक ल्यूकेमिया (खून का कैंसर) की आशंका करने लगते हैं। खून के कैंसर (ल्यूकेमिया) से पीड़ित बच्चों के खून में आमतौर पर अपरिपक्व सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बहुत अधिक होती है।

कैंसर का पता लग जाने पर, कैंसर के सही उपप्रकार का पता लगाने के लिए और अधिक जाँचें की जाएंगी। इन जाँचों में शामिल है:

कैंसर फैलने का पता लगाने के लिए कुछ जाँचें इस प्रकार हैं:

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया रोग का इलाज करना

इलाज एएमएल के प्रकार पर निर्भर करता है। एएमएल के तीन प्रकार — एक्यूट प्रोमाइलोसाइटिक ल्युकेमिया (एपीएल), डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों में एएमएल, और FLT3-उत्परिवर्तित एएमएल — का इलाज एएमएल के अन्य प्रकारों की तुलना में अलग तरीके से किया जाता है।

कीमोथेरेपी एक प्राथमिक एएमएल इलाज है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी एक विकल्प हो सकता है।

इंडक्शन

इस इंडक्शन चरण का लक्ष्य खून और बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) में मौजूद खून के कैंसर वाली कोशिकाओं को नष्ट करना और रोगी को कैंसर-मुक्त करना है। चूंकि एएमएल रोगी संक्रमण के प्रति अति संवेदनशील होते हैं, इसलिए उन्हें जीवाणु नाशक दवाई (एंटीबायोटिक) दवाओं के साथ सहायक इलाज भी दिया जाता है।

इस समय के दौरान, मस्तिष्क और रीढ़ के अंदर की नस में मौजूद खून के कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) सैंक्चुअरी थेरेपी भी दी जा सकती है (जिसे सीएनएस प्रोफिलैक्सिस भी कहा जाता है)। दवाओं को इंजेक्शन से मस्तिष्क और रीढ़ के अंदर की नस (इंट्राथेकल) को कवर करने वाले ऊतक की पतली परतों के बीच तरल से भरे स्थान में डाला जाता है।

कैंसर के शुरूआती इलाज में आमतौर पर साइट्राबाइन और एक एन्थ्रासाइक्लिन जैसी दवाओं का संयोजन शामिल होता है, जो आमतौर पर डूनोरूबिसिन होता है। कैंसर के शुरूआती इलाज के दौरान इटॉप्साइड, थायोगुआनिन या जिम्टुज़ुमैब ओज़ोगामाइसिन भी दी जा सकती है।

कन्सॉलिडेशन (दृढ़ीकरण)/ इन्टेंसीफ़िकेशन (तीव्रीकरण)/पोस्ट-इंडक्शन

इस चरण का लक्ष्य उन सभी शेष बची खून के कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करना है जो आगे विकसित होना शुरू हो सकती हैं और खून के कैंसर के रोग के वापस आने का कारण बन सकती हैं। कैंसर केंद्र ऐसी जाँचें कर सकते हैं जो 1,000 सामान्य कोशिकाओं में से एक एएमएल कोशिका का पता लगा सकते हैं। जिन बच्चों में इंडक्शन चरण को पूरा करने के बाद 1,000 में एक से अधिक कोशिकाएँ होती हैं, उनमें रोग के वापस आने का सबसे अधिक खतरा होता है।

यह कन्सॉलिडेशन चरण रोगी के कैंसर-मुक्त होने के बाद शुरू होता है। इसमें कीमोथेरेपी के 2-4 चक्र शामिल होते हैं और यह 4 से 6 महीने तक चलता है। इस तरह की चिकित्सा में नॉन-क्रॉस-प्रतिरोधी दवाओं और साधारणतः उच्च-खुराक साइट्राबाइन के समावेशन के साथ-साथ इंडक्शन में उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएँ भी शामिल होती हैं।

हेमेटोपोएटिक सेल ट्रांसप्लांट 

हेमेटोपोएटिक सेल ट्रांसप्लांट (जिसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के रूप में भी जाना जाता है) की सलाह उन बच्चों के लिए दी जा सकती है जिनमें रोग के वापस आने का खतरा अधिक है या जिनके एएमएल पर इलाज का असर नहीं हो रहा है। चिकित्सक यह तय करने के लिए कि रोगी को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है या नहीं, कभी-कभी यह देखते हैं कि इंडक्शन कीमोथेरेपी ने रोगी पर कितनी अच्छी तरह काम किया है।

एएमएल रोगियों में एलोजेनिक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।

एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट में, बच्चों को एक स्वस्थ डोनर से रक्त कोशिका-उत्पादन करने वाली कोशिकाएँ दी जा सकती हैं। ट्रांसप्लांट का पात्र होने के लिए रोगियों के पास एक उपयुक्त डोनर होना आवश्यक है। डोनर कोशिकाओं को प्राप्त करने से पहले, रोगी में कीमोथेरेपी के द्वारा और कई बार रेडिएशन के द्वारा उनकी बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) में मौजूद रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है। रोगी को निषेचन प्रक्रिया के माध्यम से रक्त और मैरो कोशिकाएँ दी जाती हैं। यदि यह प्रक्रिया सफल रहती है, तो शरीर में ये नई डोनर कोशिकाएँ आगे विकसित होंगी और रोगी की रक्त और मैरो कोशिकाओं की जगह ले लेंगी। परिणामस्वरूप, रोगी की बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहाँ खून बनता है) को स्वस्थ रक्त कोशिकाएँ बनाना शुरू कर देना चाहिए।

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया का पूर्वानुमान लगाना

बचपन में होने वाले एएमएल के लिए पांच साल की जीवित रहने की दर लगभग 70 प्रतिशत है।

एएमएल से पीड़ित लगभग 90 प्रतिशत बच्चों में आरंभिक इलाज के बाद उनके खून में कोई कैंसर कोशिका नहीं होती। एएमएल से पीड़ित लगभग 30 प्रतिशत बच्चों में रोग वापस आ जाता है या उनमें ऐसी बीमारी हो जाती है जो इलाज के प्रति प्रतिरोधक होती है (जिस पर प्रभाव न पड़े)।

एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया के देरी से दिखाई देने वाले प्रभाव

कुछ एएमएल रोगियों में देर से दिखाई देने वाले प्रभाव हो सकते हैं। देरी से दिखाई देने वाला प्रभाव एक स्वास्थ्य-संबंधी समस्या है जो इलाज समाप्त होने के कई महीनों या वर्षों बाद दिखाई देती है।

कैंसर के इलाज के बाद कैंसर रोगियों को उनके उपचार केंद्र देखभाल टीम और/या समुदाय में प्राथमिक देखभाल चिकित्सक के निर्देशों का पालन करना चाहिए। देरी से दिखाई देने वाले प्रभावों का अक्सर इलाज किया जा सकता है या कुछ स्थितियों में उन्हें रोका जा सकता है।

अलग-अलग इलाजों के अलग-अलग देरी से दिखाई देने वाले प्रभाव हो सकते हैं। सभी रोगियों में देरी से दिखाई देने वाले प्रभाव नहीं होंगे। जिन रोगियों ने समान इलाज कराया था, वे अलग-अलग देरी से दिखाई देने वाले प्रभाव अनुभव कर सकते हैं।

एएमएल रोगियों को निम्न जोखिम हो सकता है:

  • एएमएल का दुबारा होना
  • दूसरे कैंसर जैसे त्वचा, ब्रेन कैंसर, हड्डी, स्तन, मुलायम ऊत्तक और थायराइड।
  • हृदय संबंधी समस्याएँ
  • जिगर संबंधी समस्याएँ
  • प्रजनन (गर्भधारण) संबंधी समस्याएँ
  • ज्ञान-संबंधी समस्याएँ

हेमेटोपोएटिक सेल ट्रांसप्लांट से गुजरने वाले रोगियों को कुछ देरी से दिखाई देने वाले प्रभाव का जोखिम हो सकता है।

क्रॉनिक एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया के वर्तमान अनुसंधान का मुख्य प्रयास

एएमएल के इलाज के लिए शोधकर्ता नई दवाओं का परीक्षण कर रहे हैं। इनमें शामिल है:

  • सेलाइनेक्सोर
  • वेनेटोक्लैक्स
  • फ्लोटेचुज़ुमाब
  • व्यक्सियोस


समीक्षा की गई: जून 2020