कैंसर के इलाज में सबसे पहले कैंसर रोग की पहचान करना पड़ती है। कैंसर रोग की पहचान करने के लिए अक्सर बायोप्सी की जाती है। बायोप्सी एक सर्जिकल प्रक्रिया होती है जिसमें ट्यूमर से ऊतक का एक छोटा टुकड़ा निकाला जाता है। एक रोगविज्ञानी माइक्रोस्कोप की सहायता से ऊतक देखता है। ऊतक की शरीरकोष विज्ञान से या कोशिका कैसी दिखाई देती है, इससे हमें कैंसर के विशिष्ट प्रकार को पहचानने संबंधी जानकारी मिलती है।
बायोप्सी करने के लिए उपयोग की गई विधि ट्यूमर की स्थिति, ऊतक की आवश्यक मात्रा और नियोजित अन्य प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है। बायोप्सी के प्रकार में टीके से कैंसर का टुकड़ा निकालने वाली बायोप्सी और सर्जिकल बायोप्सी शामिल है।
माइक्रोस्कोप के नीचे रोगविज्ञानी कोशिकाओं को देखता है। अगर कैंसर की कोशिकाएं होती हैं, तो ट्यूमर असाध्य है। अगर कोई कैंसर की कोशिकाएं नहीं हैं, तो ट्यूमर कैंसर नहीं है। कोशिकाएं कैसी दिखती हैं, उनके कितनी तेज़ी से बढ़ने की संभावना है और कोशिकाएं कितनी फैल चुकी हैं, इस आधार पर ट्यूमर का मूल्यांकन होता है।
इलाज की योजना बनाने के लिए चिकित्सक बायोप्सी से प्राप्त जानकारी का उपयोग करेंगे। इसके लिए कई कारकों पर विचार किया जाता है जिनमें निम्न शामिल हैं:
कैंसर रोग की पहचान और इलाज के बारे में और जानें।
कुछ मामलों में, चिकित्सक सामान्य एनेस्थीसिया के अंतर्गत रोगी का परीक्षण कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को कहा जाता है: एनेस्थीसिया देकर किया जाने वाला परीक्षण। चूंकि रोगियों को एनेस्थीसिया देने के दौरान उन पर नज़र रखी जानी चाहिए, इसलिए ईयूए को एक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट (बेहोश करने वाला डॉक्टर) की देखरेख में ऑपरेटिंग कमरे के अंदर किया जाता है। बचपन में होने वाले कैंसर में, इस प्रक्रिया का आमतौर पर उपयोग रेटिनोब्लास्टोमा, जो कि आंख का कैंसर होता है, उसकी पहचान करने के लिए किया जाता है। कभी-कभी, ईयूए को अन्य परीक्षणों में जैसे कि पेल्विक परीक्षण में उपयोग किया जाता है। जितना हो सकता है, चिकित्सक एनेस्थीसिया का उपयोग कम करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, कुछ परीक्षणों में बच्चे को पूरी तरह से सुन्न करना पड़ता है। परीक्षण का प्रकार, बच्चे की आयु और/या संभावित शारीरिक या भावनात्मक परेशानी के कारण बेहोशी की दवा का उपयोग ज़रूरी हो जाता है।
—
समीक्षा की गई: जून 2018