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हृदय संबंधी देरी से दिखाई देने वाले प्रभाव

बचपन में होने वाले कैंसर में बचने वाले ज़्यादातर लोगों को अपनी थेरेपी की वजह से हृदय से जुड़ी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन बचपन में होने वाले कैंसर के कुछ इलाज, बाद में होने वाले हृदय रोग की वजह बन सकते हैं।

बचपन में होने वाले कैंसर से बचने वाले लोगों में कुछ ख़ास इलाजों की वजह से हृदय संबंधी देर से दिखाई देने वाले प्रभाव उभरते हैं। एंथ्रासाइक्लिन दवाओं और सीने पर दिए जाने वाले रेडिएशन से बचपन में होने वाले कैंसर से बचने वाले लोगों को हृदय रोग हो सकता है। इस चित्र में एक चिकित्सक जांच के दौरान बचपन में होने वाले कैंसर से बचने वाले व्यक्ति के हृदय की जांच कर रहे हैं।

बचपन में होने वाले कैंसर से बचने वाले लोगों में कुछ ख़ास इलाजों की वजह से हृदय संबंधी देर से दिखाई देने वाले प्रभाव उभरते हैं।

ह्रदय कैसे काम करता है

हृदय मांसपेशियों से बना एक ऐसा अंग है जो शरीर के अंगों के लिए खून पंप करता है। हृदय रक्त संचार प्रणाली का केंद्र है, जो रक्त वाहिकाओं, जैसे धमनियों, नसों और केशिकाओं (कैपिलेरी) के नेटवर्क से मिलकर बना है।

एक विद्युत प्रणाली हृदय को नियंत्रित करती है और हृदय की दीवारों के फैलने-सिकुड़ने के काम के लिए विद्युत संकेतों का इस्तेमाल करती है। दीवारें सिकुड़ने पर हृदय खून को आगे बढा देता है। हृदय के चैंबर के इनलेट (शरीर के दूसरे अंगों से हृदय तक खून पहुंचाने वाले) और आउटलेट (हृदय से शरीर के दूसरे अंगों तक खून पहुंचाने वाले) वॉल्व खून को सही दिशा में प्रवाहित करते रहते हैं।

शरीर अच्छी तरह से काम करे इसलिए एक सेहतमंद हृदय सही मात्रा में उतने ही खून की आपूर्ति करता है जितना ज़रूरी है। अगर हृदय किसी रोग या चोट की वजह से कमज़ोर पड़ जाए, तो अंगों को सही तरीके से काम करने के लिए उतना खून नहीं मिलेगा जितना ज़रूरी है।

लाल और नीले रंग से बना हृदय की रचना का ग्राफ़िक जिसमें बड़ी धमनी, ऊर्ध्व महाशिरा, दाएं एट्रियम, ट्राइकसपिड वॉल्व, फेफड़े के वॉल्व, दाएं निलय, पट, बाएं निलय, एओटिक वॉल्व, मिट्रल वॉल्व, बाएं एट्रियम, फेफड़े की शिरा (फुप्फुस शिरा) और फेफड़े की धमनी के लिए लेबल का इस्तेमाल किया गया है।

हृदय मांसपेशियों से बना एक ऐसा अंग है जो शरीर के अंगों के लिए खून पंप करता है। हृदय रक्त संचार प्रणाली का केंद्र है, जो रक्त वाहिकाओं, जैसे धमनियों, नसों और केशिकाओं (कैपिलेरी) के नेटवर्क से मिलकर बना है।

कैंसर के इलाज जो हृदय संबंधी समस्याओं की वजह बन सकते हैं

एंथ्रासाइक्लिन दवाओं और सीने पर दिए जाने वाले रेडिएशन जैसे इलाज से बचपन में होने वाले कैंसर से बचने वाले लोगों को हृदय रोग हो सकता है। बचपन में होने वाले कैंसर से बचने वाले सभी लोगों में से लगभग 60 प्रतिशत को एंथ्रासाइक्लिन कीमोथेरेपी या सीने पर दिया जाने वाला रेडिएशन या दोनों दिया गया था।

एंथ्रासाइक्लिन

एंथ्रासाइक्लिन में शामिल है:

  • डॉक्सोरूबिसिन एड्रियामाइसिन (Adriamycin®)
  • डॉनोरूबिसिन/ डॉनोमाइसिन (Cerubidine®)
  • इदारुबिसिन (Idamycin®)
  • मिटोक्सेंट्रोन (Novantrone®)
  • एपिरूबिसिन

दवा कितनी मात्रा (खुराक) में दी गई है इससे कंजेस्टिव हार्ट फ़ेल का जोखिम बढ़ जाता है:

एंथ्रासाइक्लिन की खुराक (धीरे-धीरे बढ़ाना)
कंजेस्टिव हार्ट फ़ेल होने का खतरा बढ़ना
250 mg/m2 से कम
5 प्रतिशत से कम
250 mg/m2 और 600 mg/m2 के बीच
लगभग 10 प्रतिशत
600 mg/m2 से ज़्यादा
30 प्रतिशत

छाती पर दिया जाने वाला रेडिएशन

ऐसा इलाज जिसमें हृदय या हृदय के आस-पास रेडिएशन दिया जाता है, हृदय संबंधी कुछ खास परेशानियों के जोखिम को बढ़ाता है।

छाती पर दिए जाने वाले रेडिएशन (खुराक) से जोखिम बढ़ जाता है।

रेडिएशन की मात्रा
जोखिम
35 Gy या ज़्यादा
ज़्यादा
15 Gy-<35 Gy
मध्यम
<15 Gy
कम

एंथ्रासाइक्लिन और छाती पर दिया जाने वाले रेडिएशन

कैंसर से बचने वाले ऐसे लोगों को जोखिम ज़्यादा होता है जिन्हें एंथ्रासाइक्लिन और छाती पर रेडिएशन दोनों इलाज दिया है।

जोखिम की दूसरी वजहें

कुछ परिवारों में हृदय संबंधी समस्याएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आती हैं।

रजोनिवृत्ति (माहवारी का बन्द होना) के बाद महिलाओं में खतरा बढ़ जाता है।

सेहत से जुड़ी दूसरी परेशानियों से हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है:

  • मोटापा
  • उच्च रक्तचाप
  • खून में कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड का स्तर ज़्यादा होना
  • मधुमेह/डायबीटीज़

कैंसर के कुछ इलाज कैंसर से बचने वाले लोगों में उभरने वाले इन रोगों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

हृदय संबंधी समस्याएं जो उभर सकती हैं

  • हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना (कार्डियोमायोपैथी)
  • कोरोनरी आर्टरी (धमनी) बीमारी
  • आघात (लकवा)
  • असामान्य हृदय ताल (अतालता)
  • हृदय के वॉल्व में आने वाली खराबी (वॉल्वुलर स्टिनोसिस या हृदय के काम करने की क्षमता में कमी)
  • हृदय के आस-पास की झिल्ली (मेम्ब्रेन) में आने वाली खराबी (पेरिकार्डिटिस या पेरिकार्डियल फ़ाइब्रोसिस)

कार्डियोमायोपैथी समय बीतने के साथ बढ़ सकती है और हार्ट फ़ेल की वजह बन सकती है।हृदय संबंधी दूसरी समस्याएं भी हार्ट फ़ेल के ख़तरे को न्यौता दे सकती हैं। इसपरेशानीका मतलब है कि शरीर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हृदय उतना खून पंप नहीं कर सकता जितनी ज़रूरत है।

संकेत और लक्षण

  • ऐसा हो सकता है कि कैंसर से बचने वाले लोग हृदय रोग से ग्रस्त हों, लेकिन शुरुआत में उनमें कोई लक्षण दिखाई न दें। ऐसे हालातों में हृदय रोग का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले परीक्षण जैसे कि इकोकार्डियोग्राम (इको) काम में लाए जाते हैं।
हृदय रोग के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए इकोकार्डियोग्राम (इको) जैसे हृदय के परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है। इस चित्र में एक चिकित्सक बचपन में होने वाले कैंसर से बचने वाले एक बच्चे का इको कर रहे हैं।

हृदय रोग के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए इकोकार्डियोग्राम (इको) जैसे हृदय के परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है।

  • हृदय रोग की समस्या बढ़ने के साथ रोगियों को ये समस्याएं हो सकती है:
    • साँस की तकलीफ होना
    • चक्कर आना
    • सिर घूमना
    • बेहोश हो जाना
    • बहुत ज़्यादा थकान होना
    • छाती में दर्द; पसीना आना, जी मिचलाना या छाती में दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ़ होना
    • पैरों और एड़ियों में सूजन
    • खांसी और साँस की घरघराहट जो ठीक नहीं होती
    • हृदय का बहुत तेज़ या ज़ोर से धड़कना
    • हृदय की अनियमित धड़कन

कैंसर से बचने वाले लोग इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं

कैंसर से बचने वाले लोग हृदय की सेहत को बनाए रखने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं:

  • हृदय संबंधी समस्याएं होने के अपने जोखिम को जानें। अपने चिकित्सक से पूछें कि क्या आपको दिया गया इलाज, आपमें हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है।
  • नियमित चेक-अप करवाएं। इसमें हृदय की समस्याओं की जांच करने वाले परीक्षण शामिल हैं।
  • कैंसर से ठीक हुए लोगों की देखभाल की अपनी योजना की एक कॉपी साझा करें जिसमें आपका इलाज करने वाले चिकित्सक के साथ इलाज की खास जानकारी भी शामिल हो।
  • अगर हृदय रोग होने के सबूत मिल जाते हैं, तो कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) से सलाह लें।
  • हृदय रोग से बचने यानी उसकी रोकथाम करने के लिए ज़िंदगी जीने के सेहतमंद तौर-तरीके अपनाएं।
  • उन परेशानियों का इलाज करें जो हृदय की सेहत पर बुरा असर डालती हैं।

हृदय से संबंधित सेहतमंद आदतें

ज़िंदगी जीने के तौर-तरीकों से जुड़ी कुछ आदतों से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इनमें शारीरिक व्यायाम की कमी और सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला आहार शामिल है।

हृदय रोग के जोखिम को कम करने वाली आदतें:

  • हर दिन व्यायाम करना
  • सेहतमंद खान-पान
  • धूम्रपान न करना

व्यायाम और सेहतमंद आहार से इन परेशानियों के उभरने का खतरा कम हो सकता है। हर किसी को ज़िंदगी जीने के सेहतमंद तौर-तरीके अपनाने चाहिए, लेकिन कैंसर से बचने वाले लोगों के लिए यह खास तौर पर अहम है क्योंकि उनमें पहले ही हृदय रोग होने का खतरा ज़्यादा होता है।


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समीक्षा की गई: जून 2018