कैंसर के इलाज या उसके ठीक होने के दौरान रोगियों को वे सभी कैलोरी और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं जो उन्हें मुंह से लेने की जरूरत होती है। नली के द्वारा पोषण या एंटरल पोषण, पेट या आंत में डाली ट्यूब के माध्यम से तरल या नुस्खे के रूप में (जैसे, पाउडर वाला बेबी फ़ूड) पोषण देता है। खिलाने वाली नली के माध्यम से कुछ दवाइयां भी दी जा सकती हैं।
आमतौर पर दो तरह से खिलाने वाली नली लगाई जाती हैं:
सबसे आम खिलाने वाली नलियों में नासोगैस्ट्रिक ट्यूब (एनजी ट्यूब) और गैस्ट्रोस्टोमी ट्यूब (जी ट्यूब) शामिल हैं। पाचन प्रणाली में ट्यूब कैसे और कहां रखा जाता है, इसके आधार पर कई प्रकार के खिलाने वाली नली होते हैं।
कभी-कभी मरीज पर्याप्त कैलोरी या प्रोटीन मुंह से नहीं ले पाता है। इसमें किसी की गलती नहीं है। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि इस तरह का पोषण सजा नहीं है। ज्यादातर बच्चों को खिलाने वाली नली से कोई परेशानी नहीं होती है। बच्चे को ट्यूब छूने या खींचने से रोकना बहुत जरूरी है। जलन या संक्रमण को रोकने के लिए ट्यूब स्थान के आसपास त्वचा की देखभाल के लिए निर्देशों का पालन करें।
खिलाने वाली नली पेट या छोटी आंत से जुड़ती है। रोगी के फ़ॉर्मूला सहन करने और पोषक तत्वों को पचाने की क्षमता को देख कर यह तय किया जायेगा कि ट्यूब कहां लगेगी। जहाँ तक संभव हो ट्यूब को अधिक सामान्य पाचन के लिए पेट में रखा जाता है।
खिलाने वाली नली के 5 प्रकार हैं:
नासोगैस्ट्रिक ट्यूब (एनजी ट्यूब)। एनजी ट्यूब नाक से पेट में डाली जाती है। ट्यूब गले के नीचे और भोजन-नली के माध्यम से पेट में गुजरती है।
नासोजेजुनल ट्यूब (एनजे ट्यूब)। एक एनजे ट्यूब एनजे ट्यूब के समान है, लेकिन यह ट्यूब पेट से छोटी आंत तक जाती है।
गैस्ट्रोस्टोमी ट्यूब (जी ट्यूब)। जी ट्यूब को त्वचा में एक छोटा चीरा लगाकर डाला जाता है। यह ट्यूब पेट की दीवार से होकर सीधे पेट में जाती है।
गैस्ट्रोस्टोमी-जेजुनोस्टॉमी ट्यूब (जीजे ट्यूब)। जीजे ट्यूब को जी ट्यूब की तरह पेट में डाला जाता है, लेकिन यह ट्यूब पेट से होकर छोटी आंत तक पहुंचती है।
जेजुनोस्टॉमी ट्यूब (जे ट्यूब)। जे ट्यूब पेट की दीवार के माध्यम से सीधे छोटी आंत में जाती है और इस खिलाने वाली नली को लगाने के लिए एक छोटा चीरा लगाते हैं।
एनजी और एनजे ट्यूब सहित नाक से खिलाने वाली नली का इस्तेमाल आमतौर पर तब किया जाता है जब नली के द्वारा पोषण कम समय के लिए जरूरी होती है, आमतौर पर 6 सप्ताह से कम। ट्यूब नाक के एक छेद से बाहर निकलती है और मेडिकल टेप का उपयोग करके त्वचा पर लगाया जाता है। एनजी और एनजे ट्यूब के कई फायदे हैं जैसे कि संक्रमण के कम खतरा और बदलने में आसानी। ट्यूब को चेहरे पर टेप के साथ ही लगाना चाहिए और ये यह कुछ बच्चों को परेशान कर सकता है। कीमोथेरेपी वजह से अन्य बच्चों को नाक की नलियों में त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली में जलन के कारण तकलीफ हो सकती है।
ऑपरेशन से लगाई गई ट्यूब (जी ट्यूब, जे ट्यूब, जीजे ट्यूब) का इस्तेमाल लंबे समय के लिए किया जाता है और अगर बच्चे को नाक में ट्यूब होने से परेशानी हो। पेट पर जहां से ट्यूब डाला जाता है उस खुली हुई जगह को स्टोमा कहा जाता है। शरीर के बाहर की तरफ मरीजों में एक लंबी ट्यूब या एक “बटन” या एक कम दिखने वाला ट्यूब होती है। ठीक हो जाने के बाद स्टोमा में दर्द नहीं होना चाहिए और बच्चों को काफी नियमित काम करने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
नली के द्वारा पोषण के सबसे आम दुष्प्रभाव जी मिचलाना, उल्टी, पेट में ऐंठन, दस्त, कब्ज और सूजन हैं।
अन्य संभावित दुष्प्रभावों में निम्न हो सकते हैं:
देखभाल और फ़ीडिंग के निर्देशों का पालन करके अधिकांश दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है।
एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ या पोषण विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे की विशिष्ट पोषण की जरूरते पूरी हो बचपन में होने वाले कैंसर से ग्रस्त बच्चों के लिए खिलाने वाली नली का इस्तेमाल तब किया जाता है जब मरीज़ मुंह से खाने पर ज़रूरी पोषक नहीं ले सकता है। अन्य मरीज़ों को खिलाने वाली नली से सभी पोषक तत्व मिल सकते हैं।
एक फ़ॉर्मूला निर्धारित किया जाएगा जिसमें निम्न होगा:
कई मरीज़ों को नियत फ़ॉर्मूला खिलाया जा सकता है। शिशुओं के लिए माँ के दूध को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है। अन्य बच्चों को चिकित्सा स्थितियों जैसे एलर्जी, मधुमेह या पाचन समस्याओं के लिए विशेष फॉर्मूले की जरूरत होती है।
परिवार को अपने आहार विशेषज्ञ से सलाह लेते रहनी चाहिए। पोषण की ज़रूरत स्वास्थ्य कारकों और उल्टी या दस्त जैसे दुष्प्रभावों के आधार पर बदल सकती है।
नली के द्वारा पोषण देने के 3 मुख्य तरीके हैं: बोलस फ़ीडिंग, निरंतर फ़ीडिंग और ग्रेविटी फ़ीडिंग।
बोलस फ़ीडिंग - बोलस फ़ीडिंग में फॉर्मूले की बड़ी खुराक को खिलाने वाली नली के माध्यम से दिन में कई बार दिया जाता है। यह एकदम सामान्य खाने की दिनचर्या जैसा है।
निरंतर फ़ीडिंग - निरंतर फ़ीडिंग में, एक इलेक्ट्रॉनिक पंप का इस्तेमाल करके कई घंटों के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा फ़ॉर्मूला दिया जाता है। कुछ बच्चों को जी मिचलाना और उल्टी को कम करने में मदद करने के लिए निरंतर फ़ीडिंग की आवश्यकता हो सकती है।
ग्रेविटी फ़ीडिंग - ग्रेविटी फ़ीडिंग में एक फ़ीडिंग बैग को आईवी पोल पर रखा जाता है और फ़ॉर्मूला एक निर्धारित मात्रा में ट्यूब के माध्यम से धीमी गति से टपकता है। मरीज़ के हिसाब से कम या ज़्यादा समय लग सकता है।
खिलाने वाली नली लगे हुए भी बच्चे घर जा सकते हैं। देखभाल करने वाली टीम यह पक्का करेगी कि परिवार को पता हो कि खिलाने वाली नली से कैसे खिलाना है और ट्यूब की देखभाल कैसे करनी है। परिवारों को निम्न तरह की समस्याओं पर नज़र रखनी चाहिए:
जो उपकरण और सामान परिवार को लगेगा उनमें निम्न शामिल हैं:
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समीक्षा की गई: नवंबर, 2018