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पोषण और दुष्प्रभाव

कैंसर के दौरान, कई बच्चों को खाने में समस्या होती है और उन्हें पूरा पोषण नहीं मिलता है। खाने और पोषण मिलने में समस्याएं होने के कारण निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:

  • वजन घटना
  • देरी से वृद्धि होना
  • थकान या चिड़चिड़ापन महसूस होना
  • आसानी से बीमार पड़ जाना
  • कमजोरी और शारीरिक गतिविधि के लिए ताकत कम होना

खाने और पोषण में कैंसर-संबंधी समस्याएं कई कारणों से हो सकती हैं। जिन बच्चों को मुंह, पेट या आंतों में ट्यूमर होता है, उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिलने का ख़तरा अधिक होता है क्योंकि उन्हें खाने या भोजन को पचाने में समस्या होती है। अस्पताल में रहने या चिकित्सकीय इलाज के दौरान दिनचर्या में बदलाव होने या खाने-पीने पर प्रतिबंध होने के कारण सामान्य रूप से खाने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। दर्द, तनाव, चिंता और शारीरिक गतिविधि कम होने के कारण बच्चों को भूख भी कम लग सकती है। कई बच्चों के लिए, इलाज के दुष्प्रभावों के कारण पूरा पोषण मिलने में मुश्किल होती है।

बचपन में होने वाले कैंसर के अस्पताल के अल्पाहार-गृह में दोपहर के भोजन का समय

अस्पताल में रहने या चिकित्सकीय इलाज के दौरान वाली दिनचर्या में बदलाव हो सकता है, जिससे सामान्य रूप से खाने में बाधा हो सकती है। इलाज के दुष्प्रभावों के कारण खाने और पोषण में समस्याएं होती हैं। नीचे कई सलाहें दी गई हैं, जिनसे बचपन में होने वाले कैंसर के रोगियों और उनके परिवारों के लिए कुछ दुष्प्रभावों और पोषण संबंधी समस्याओं पर ध्यान देने में सहायता मिल सकती है।

दुष्प्रभावों के कारण पोषण संबंधी चुनौतियों के लिए सहायता

कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी या अन्य इलाजों के कारण जी मिचलाना, उल्टी, दस्त या कब्ज हो सकता है और यह भी हो सकता है कि भूख भी न लगे। इलाज के कारण मुंह और गले में पीड़ादायक छाले हो सकते हैं। खाद्य पदार्थों का स्वाद और गंध भी बदल सकता है और यहां तक कि पसंदीदा खाद्य पदार्थ भी आकर्षक नहीं लग सकते हैं। यहां कुछ कार्यनीतियां दी गई हैं, जिनसे परिवार के लोगों को विशिष्ट दुष्प्रभावों और पोषण संबंधी समस्याओं पर ध्यान देने में सहायता मिल सकती है।

पोषण संबंधी लक्ष्यों में अभिभावक कैसे सहायता कर सकते हैं

जब बच्चों को बेहतर लगे, तब समय-समय पर उन्हें खिलाएं। बचपन में होने वाले कैंसर के रोगी की अस्पताल के अल्पाहार-गृह में ग्रिल चीज़ सैंडविच खाते हुए तस्वीर।

जब बच्चों को बेहतर लगे, तब समय-समय पर उन्हें खिलाएं।

बचपन में होने वाले कैंसर के दौरान, खाने की आदतें अनपेक्षित रूप से बदल सकती हैं। यह भोजन के समय के लिए आसान हो सकता है, लेकिन परिवार के लिए तनावभरा होता है। इन रिमाइंडर से परिवारों को पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने में सहायता मिल सकती है।

  • बच्चों को अच्छा महसूस लगने पर उन्हें खाने के लिए प्रोत्साहित करें। इलाज के दौरान कई रोगियों में खाने की इच्छा अलग-अलग समय पर बदलती है। जब बच्चों को बेहतर लगे, तब अभिभावक समय-समय पर उन्हें खिलाएं।
  • पसंदीदा खाना और पेय पदार्थ दें। ऐसा करना तब बहुत ज़रूरी होता है, जब बच्चा बहुत बीमार हो और खाना-पीना न ले रहा हो। 
  • खाने के लिए दबाव न डालें। खाने का समय होने पर, आराम से रोगियों को याद दिलाएं। खाने के लिए बच्चों पर दबाव डालने की कोशिश करने पर वे और विरोध कर सकते हैं। खाने को लेकर “जंग” जीतने की कोशिश करना भी घरवालों के लिए ज़्यादा तनाव भरा हो सकता है।
  • स्थिति के अनुरूप खुद को बदलें। बच्चे की पसंद का खाना दें, बच्चे की जो इच्छा हो, उसे वह खिलाएं और “सामान्य” शेड्यूल के अनुसार ही खाना खिलाने की ज़िद न करें। 
  • दिनचर्या बनाएं रखें। स्थिति के अनुरूप खुद को बदलने की तरह, दिनचर्या भी ज़रूरी है। अधिकांश परिवारों के लिए भोजन मेलजोल बढ़ाने का एक ज़रिया होता है। यदि बच्चा कुछ और खाता है या कुछ भी नहीं खाता है, फिर भी परिवार के साथ भोजन करें।
लकड़ी की आग पर पकाए गए तीन पिज़्ज़ा के साथ पिज़्ज़ा ओवन

बचपन में होने वाले कैंसर के दौरान पोषण की कमी पूरी करने में सहायता के लिए, खाने के समय पर स्थिति के अनुरूप ढलने की कोशिश करें। बच्चे की पसंद का खाना दें, बच्चे की जो इच्छा हो, उसे वह खिलाएं और “सामान्य” शेड्यूल के अनुसार ही खाना खिलाने की ज़िद न करें।

अतिरिक्त पोषण

यदि खाने से बच्चे की पोषण आवश्यकताएं पूरी नहीं हो रही हैं, तो अतिरिक्त पोषण या खाने की जगह कुछ और दिया जा सकता है। ये आमतौर पर भोजन के बदले दिए जाने वाले द्रव्य पदार्थ होते हैं और विविध प्रकार के स्वादों में उपलब्ध हैं। यदि बच्चा दो या तीन दिनों से ज़्यादा समय से खाना ठीक से नहीं खा रहा है, तो बच्चे की देखभाल करने वाली टीम से बात करें। इस तरह के किसी भी सप्लीमेंट या भोजन के बदले दिए जाने वाले पदार्थों का इस्तेमाल करने से पहले सलाह ज़रूर लें। आपकी देखभाल करने वाली टीम किसी आहार विशेषज्ञ से सहायता लेने का सुझाव दे सकती है। कुछ मामलों में, चिकित्सकीय पोषण संबंधी सहायता की ज़रूरत पड़ सकती है।

वजन बढ़ना

हालांकि कई परिवारों के लिए वजन बढ़ना और पोषण की कमी चिंता का मुख्य विषय हैं, लेकिन कैंसर के इलाज के दौरान बच्चों का वजन भी बढ़ सकता है। ज़्यादा गतिविधि न कर पाना और व्यायाम करने का अवसर कम मिलना भी एक कारण हो सकता है। या ज़्यादा हाई-कैलोरी, अधिक-वसायुक्त खाने से भी वजन बढ़ सकता है।

स्टेरॉयड जैसी कुछ दवाइयों के कारण वजन बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि स्टेरॉयड से भूख बढ़ती है, जिसके कारण शरीर मांसपेशी के बजाय चर्बी बनती है और शरीर में पानी भरता है।

वजन बढ़ने पर क्या करना चाहिए, इसका निर्णय लेने के लिए बच्चे की देखभाल टीम से बात करें।

वजन बढ़ने की समस्या के लिए सलाह:

  • अधिक फल और सब्जियां खाएं।
  • अधिक वसा, अधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ कम खाएं। यह लें:
    • कम-वसा या मलाई निकालकर दूध से बनाए गए उत्पाद
    • "हल्के" और वसामुक्त उत्पाद
    • बिना चर्बी के मांसाहार
    • बेक, भुने, ग्रिल, उबले, माइक्रोवेव या सेंके हुए खाद्य पदार्थ, जिनमें वसा की मात्रा कम हो
  • कोला, जूस, पंच, मीठी चाय, नींबू शर्बत और कूल-ऐड सहित मीठे पेय पदार्थ बहुत कम पिएं। देखभाल टीम द्वारा सलाह दिए जाने पर, कुछ और आहार या शर्करा रहित पेय पदार्थ।
  • खाने की खुराक की मात्रा कम करें।
  • शारीरिक गतिविधि का स्तर बढ़ाएं।
  • एक परिवार के रूप में स्वस्थ खाना खाएं।
  • धीरे-धीरे खाएं। समय लेकर खाने का आनंद लें।
  • भूख लगने पर ही खाएं।

अच्छा पोषण मिलने से,बचपन में होने वाले कैंसर के रोगियों को सामान्य विकास और वजन बढ़ाने में सहायता मिलती है, वे दैनिक गतिविधियां कर सकते हैं और उनका संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है।

परिवारों के लिए पोषण और स्वस्थ वजन संबंधी अधिक जानकारी के लिए, हम कर सकते हैं! देखें - पोषण संबंधी टूल और संसाधन

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान से भोजन-संबंधी सुझाव


समीक्षा की गई: जून 2018