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रक्तस्त्राव और नील पड़ना

कुछ कैंसर और कैंसर के इलाजों के कारण रक्तस्त्राव की समस्याएँ मरीज की त्वचा पर नील पड़ना और छोटे गहरे नीले या लाल रंग के निशान पड़ सकते हैं। ये संकेत खून में प्लेटलेट्स कम होने के कारण हो सकते हैं। प्लेटलेट्स, रक्तस्त्राव को रोकने या धीमा करने के लिए खून के थक्के बनाने में सहायता करते हैं।

खून में सामान्य स्तर से कम प्लेटलेट्स होने को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है। सामान्य प्लेटलेट्स की संख्या 150,000 और 300,000 के बीच होती है।

यदि आपके बच्चों को रक्तस्त्राव की समस्या, असामान्य नील पड़ना या छोटे गहरे नीले रंग या लाल रंग के निशान होते हैं, तो तुरंत देखभाल टीम को बताना ज़रूरी है। इन स्पॉट को लाल चिकत्ता कहते हैं।

कभी-कभी प्लेटलेट की संख्या कम होने के कारण अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं:

  • रक्तस्राव जो कुछ मिनटों के बाद भी बंद नहीं होता है
  • मुंह, नाक से या उल्टी के समय खून आना
  • माहवारी न होने पर भी योनि से खून आना
  • माहवारी के दौरान सामान्य से अधिक खून आना या अधिक समय तक खून आना
  • लाल या गुलाबी रंग का पेशाब
  • काले रंग का मल होना या मल में खून आना
  • तेज़ सिरदर्द
  • दृष्टि में परिवर्तन
  • भ्रमित या नींद आना जैसा महसूस होना

परिवार को इनमें से किसी भी संकेत और लक्षण के बारे में देखभाल टीम को बताना चाहिए।

रक्तस्त्राव और नील पड़ने की समस्याओं के रोग की पहचान करना

चिकित्सक को पहले रक्तस्त्राव का कारण पता लगाना होगा। जांच में ये शामिल हो सकते हैं:

  • शारीरिक जांच और चिकित्सकीय इतिहास – देखभाल प्रदाता रक्तस्त्राव के संकेतों की जांच करेगा और प्लीहा बढ़ा है या नहीं, यह देखने के लिए पेट को स्पर्श करेगा।
  • कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी)
  • खून के थक्के की जांच – इन जाँचों को कभी-कभी कोऐग्युलेशन पैनल कहा जाता है। ये खून में प्रोटीन की जांच करते हैं, जो थक्के बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है।

चिकित्सक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का कारण जानने के लिए बोन मैरो निकाल सकते हैं।

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का इलाज

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के गंभीर मामलों में इनकी आवश्यकता हो सकती है:

  • चल रही स्थिति का इलाज करना — जैसे कि, किसी दवाई के दुष्प्रभाव के कारण प्लेटलेट की संख्या कम हुई है, तो उस दवाई को लेना बंद करने से समस्या सुलझ सकती है।
  • ट्रांसफ़्यूजन — ट्रांसफ़्यूजन में कम हुईं प्लेटलेट्स के बदले नई प्लेटलेट्स डाली जाती हैं। किसी की दी हुई इन प्लेटलेट्स को या तो सेंट्रल वेनस एक्सेस डिवाइस या आईवी के ज़रिये मरीज की शिरा में डाला जाता है।

बचपन में होने वाले कैंसर के मरीजों में रक्तस्त्राव और नील पड़ने को रोकने के तरीके

रक्तस्त्राव और नील पड़ने को रोकने के लिए मरीज और परिवार ये कदम उठा सकते हैं:

  • कुछ दवाइयों और जड़ी-बूटी वाले उत्पादों से बचें। बिना पर्ची के मिलने वाली कई दवाइयों में एस्पिरिन या इबुप्रोफेन होता है, जिससे रक्तस्त्राव का जोख़िम बढ़ सकता है। कुछ जड़ी-बूटियाँ भी रक्तस्त्राव को प्रभावित कर सकती हैं। आपकी देखभाल टीम, नहीं ली जाने वाली दवाइयों और जड़ी-बूटी वाले उत्पादों की सूची देगी। यदि नहीं देती है, तो उनसे सूची मांगें।
  • दांतों को बहुत मुलायम टूथब्रश से आराम से साफ़ करें।
  • अंदर होने पर भी जूते पहनकर रखें।
  • नुकीली वस्तुओं का उपयोग करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें। अधिक उम्र वाले मरीज, जो दाढ़ी बनाते हैं, उन्हें रेज़र के बजाय इलेक्ट्रिक शेवर का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • त्वचा को रूखी होने और होंठों को फटने से बचाने के लिए लोशन और लिप बाम का इस्तेमाल करें।
  • ऐसी शारीरिक गतिवधियाँ करने से बचें, जिनके कारण नील पड़ सकती है या चोट लग सकती है।
  • मलाशय से संबंधित (रेक्टली) शरीर का तापमान न लें।
  • पपड़ी या मुंहासों को न निकालें।
  • जिन लड़कियों को माहवारी होती है, उन्हें टैंपून के बजाय सैनीटरी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए

घर पर देखभाल के लिए सलाह

रक्तस्त्राव या नील पड़ने की समस्या के लिए घर पर देखभाल में ये शामिल हैं:

  • मसूड़ों से खून निकलना — बर्फ़ या ठंडे पानी से कुल्ला करें।
  • नाक से खून निकलना — जब आपका बच्चा सीधा बैठा हो, तो नाक के मध्य भाग के ठीक नीचे हर नथुने के ऊपरी भाग पर थोड़ा दबाव डालें। अंगूठे और उंगली से उस जगह को धीरे से 5-10 मिनट के लिए पिंच करके पकड़कर रखें।
  • अन्य रक्तस्त्राव — उस जगह पर एक साफ़ कपड़ा लेकर हल्के से तब तक दबाएँ, जब तक कि खून निकलना रुक नहीं जाता।
  • नील पड़ना — लगभग 20 मिनट तक उस जगह पर बर्फ़ लगाकर रखें।

यदि 5-10 से मिनट के बाद भी खून निकलना नहीं रुकता है, तो देखभाल टीम को सूचित करें।


समीक्षा की गई: सितंबर 2018