मुख्य विषयवस्तु में जाएं

आपका स्वागत है

Together, बच्चों को होने वाले कैंसर से पीड़ित किसी भी व्यक्ति - रोगियों और उनके माता-पिता, परिवार के सदस्यों और मित्रों के लिए एक नया सहारा है.

और अधिक जानें

आनुवंशिक विकार

कुछ बच्चे आनुवंशिक स्थिति के साथ पैदा होते हैं, जिनके कारण वे कैंसर से ग्रस्त हो सकते हैं।

बचपन में होने वाले ज़्यादातर कैंसर को वंशानुगत तौर पर (पीढ़ियों से प्राप्त हुआ) नहीं माना जाता है। एक अध्ययन सेंट जूड-वाशिंगटन यूनिवर्सिटी बाल चिकित्सा कैंसर जीनोम प्रोजेक्ट द्वारा किया गया, जिसने पाया कि बचपन में होने वाले कैंसर का लगभग 8.5 फीसदी का कारण आनुवंशिक स्थिति होती हैं।

इन आनुवंशिक स्थितियों में से किसी के होने का मतलब यह नहीं कि व्यक्ति में कैंसर विकसित होगा। इसका मतलब है कि उसके आनुवंशिक बनावट के कारण व्यक्ति में इसके विकसित होने का जोखिम बढ़ गया है।

इन आनुवंशिक स्थितियों में ये शामिल है:

अटेक्सिया-टलेन्जियिअकटेज़ा

अटेक्सिया-टलेन्जियिअकटेज़ा एक विरल किस्म का वंशानुगत विकार है, जो तंत्रिका तंत्र, प्रतिरक्षा तंत्र और शरीर की अन्य प्रणालियों को प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति वाले बच्चों को किसी भी हरकत के लिए समन्वय में धीरे-धीरे कठिनाई होने लगती है और अक्सर इन्हें चलने-फिरने में तकलीफ होती है, संतुलन बनाने और हाथों का समन्वय बनाने समस्या पेश आती है, अनैच्छिक झटके लगते हैं, मांसपेशियों में ऐठन और नस के कामकाज में अड़चन पैदा होती है। उनमें कैंसर, ख़ासतौर पर खून का कैंसर और लिंफोमा के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। अटेक्सिया-टलेन्जियिअकटेज़ा वाले लोग मेडिकल एक्स-रे समेत रेडिएशन के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। अटेक्सिया-टलेन्जियिअकटेज़ा के बारे में ज़्यादा जानें

बेकविथ-विडमेन सिंड्रोम और आइसोलेटेड हेमीहाइपरट्रॉफ़ी

बेकविथ-विडमेन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है, जिसके कारण शरीर के अंगों (हाइपरट्रॉफ़ी) में अत्यधिक विकास होता है। यह शरीर के किसी एक क्षेत्र तक सीमित होता है या शरीर के विभिन्न अंगों में भी हो सकता है। जब यह किसी एक साइड में होता है, तो यह हेमीहाइपरट्रॉफ़ी कहलाता है। बेकविथ-विडमेन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में कैंसर के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है; ख़ासतौर पर एक किस्म के गुर्दे का कैंसर, जो विल्म्स ट्यूमर कहलाता है और एक किस्म का जिगर का कैंसर, जो हेपाटोब्लास्टोमा कहलाता है। इस स्थिति वाले लगभग 10 प्रतिशत लोगों में इस तरह के ट्यूमर विकसित होते हैं और लगभग हमेशा बचपन में दिखाई पड़ जाते हैं। बेकविथ-विडमेन सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

कार्ने कॉम्प्लेक्स

कार्ने कॉम्प्लेक्स कई प्रकार के ट्यूमर के बढ़ते जोखिम से चिह्नित एक विकार है, जिसमें हृदय में गैर-कैंसर (सौम्य) ट्यूमर शामिल हैं, जिन्हें कार्डियक मायक्सोमा के रूप में जाना जाता है। मायक्सोमा त्वचा और अंदरुनी अंगों में भी हो सकता है। कार्ने कॉम्प्लेक्स वाले लोगों में एंडोक्राइन (हार्मोन-उत्पादक) प्रणाली जैसे अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रेनल ग्लैंड), थायराइड, वीर्यकोष, अंडाशय और पीयूष ग्रंथि के कैंसर विकसित हो सकते हैं। आमतौर पर प्रभावित व्यक्तियों के त्वचा के रंग (पिगमेंटेशन) में भी बदलाव होते हैं। इस स्थिति के संकेत और लक्षण आमतौर पर किशोरावस्था या वयस्कता के शुरुआती दौर में मिलने लगते हैं। कार्ने कॉम्प्लेक्स के बारे में विस्तार से जानें

कॉन्स्टिटूशनल मिसमैच रिपेयर डेफिसेंसी सिंड्रोम (शारीरिक संरचना असंतुलन की मरम्मत संबंधी कमी से जुड़ा सिंड्रोम)

कॉन्स्टिटूशनल मिसमैच रिपेयर डेफिसेंसी सिंड्रोम एक विरल स्थिति है, जिसके कारण बच्चे में विभिन्न तरह के कैंसर के विकसित होने की संभावना होती है, इनमें मस्तिष्क ट्यूमर, खून का कैंसर, लिंफोमा, आंतों में असमान्य वृद्धि, जठरांत्रीय और (गर्भाशय और अंडाशय) जैसे महिलाओं के अंग शामिल हैं। बच्चों में कुछ ख़ास किस्म की त्वचा संबंधी स्थितियां भी विकसित हो सकती हैं जैसे कैफ़े-ऑ-लाइट-स्पॉट्स (त्वचा पर सपाट भूरे रंग के धब्बे) या ऐसे धब्बे, जो पूरी त्वचा के असली रंग की तुलना में कुछ हल्के रंग के होते हैं। कॉन्स्टिटूशनल मिसमैच रिपेयर डेफिसेंसी सिंड्रोम वाले बच्चों में उसके जीवनकाल में एक समय में एक या एक से अधिक किस्म के कैंसर विकसित हो सकते हैं। कॉन्स्टिटूशनल मिसमैच रिपेयर डेफिसेंसी सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

DICER1 सिंड्रोम

DICER1 सिंड्रोम एक ऐसा वंशानुगत विकार है जो विभिन्न किस्म के कैंसरयुक्त और गैर-कैंसरयुक्त (जो कैंसर नहीं है) ट्यूमर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। कुछ किस्म के ट्यूमर, जो फेफड़ों, गुर्दे, अंडाशय, और थायराइड में होते हैं, बहुत सामान्य किस्म के होते हैं। प्रभावित व्यक्ति में एक या एक से अधिक किस्म के ट्यूमर विकसित हो सकते हैं। उसी परिवार के सदस्यों में अलग किस्म के ट्यूमर हो सकते हैं। DICER1 सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (एफएपी)

पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (एफएपी) एक ऐसी स्थिति है, जो ज़्यादातर पाचन प्रणाली को प्रभावित करती है। पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस वाले लोगों में आमतौर पर बड़ी और छोटी आंतों में विकृत किस्म के ऊतक विकसित होते हैं, जो पॉलीपस कहलाते हैं। कुछ पॉलीपस कैंसरयुक्त हो सकते हैं, बशर्ते उन्हें नहीं निकाला गया। पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (एफएपी) वाले लोगों में युवा उम्र में कोलोन कैंसर और पाचन प्रणाली संबंधी अन्य कैंसर विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (एफएपी) वाले लोगों में अन्य किस्म के ट्यूमर, कैंसर और शारीरिक समस्याएं विकसित होने का ख़तरा बढ़ जाता है। पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस के बारे में विस्तार से जानें

आनुवंशिक न्यूरोब्लास्टोमा

न्यूरोब्लास्टोमा एक ऐसे किस्म का कैंसर है, जो अपरिपक्व तंत्रिका कोशिकाओं से पैदा होते हैं और न्यूरोब्लास्ट्स कहलाता है। यह मुख्य रूप से बच्चों को 5 साल की उम्र से पहले प्रभावित करता है और वयस्क में यह शायद ही कभी होता है। न्यूरोब्लास्टोमा तब विकसित होता है जब ट्यूमर का रूप लेने के लिए इसमें अनियंत्रित तौर पर वृद्धि होने लगती है। ज़्यादातर मामलों में ट्यूमर की शुरुआत अधिवृक्क ग्रंथियों (एड्रेनल ग्लैंड) के तंत्रिका ऊतक से होती है। कभी-कभी न्यूरोब्लास्टोमा की शुरुआत पेट, छाती, गर्दन या श्रोणिके तंत्रिका कोशिका से होती है। आनुवंशिक न्यूरोब्लास्टोमा के बारे में विस्तार से जानें

आनुवंशिक पैरागैंगलिआ-फियोक्रोमोसाइटोमा सिंड्रोम

आनुवंशिक पैरागैंगलिआ-फियोक्रोमोसाइटोमा सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पैरागैंगलिआ नामक संरचना में ट्यूमर विकसित होता है। आनुवंशिक पैरागैंगलिआ-फियोक्रोमोसाइटोमा सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

आनुवंशिक रेटिनोब्लास्टोमा

रेटिनोब्लास्टोमा आंखों का कैंसर है, जो आमतौर पर छोटे बच्चों में 5 साल की उम्र से पहले इस रोग की पहचान होती है। यह कैंसर आंखों के उस हिस्से में होता है, जो रेटिनाकहलाता है। वंशानुगत किस्म के रेटिनोब्लास्टोमा आमतौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करता है, लेकिन कुछ मामलों में केवल किसी एक आंख में विकसित हो सकता है। आनुवंशिक रेटिनोब्लास्टोमा वाले व्यक्ति में त्वचा, हड्डी, कोमल ऊतक और मस्तिष्क समेत शरीर के किसी भी हिस्से में ट्यूमर होने का ख़तरा बढ़ जा सकता है। आनुवंशिक रेटिनोब्लास्टोमा के बारे में विस्तार से जानें

ली-फ़्रॉमेनी सिंड्रोम (एलएफएस)

ली-फ़्रॉमेनी सिंड्रोम (एलएफएस) एक विरल स्थिति है, प्रभावित व्यक्ति में उसके जीवनकाल के दौरान एक या एक से अधिक किस्म के कैंसर विकसित होने की संभावना होती है। आमतौर पर यह परिवार के सदस्य से वंशानुगत रूप से प्राप्त होती है।

एलएफएस से जुड़े आम कैंसर निम्न हैं: नरम ऊतक सारकोमा, हड्डियों का कैंसर, मस्तिष्क और केंद्रीय तांत्रिका तंत्र (सीएनएस) ट्यूमर, एड्रेनोकोर्टिकल कार्सिनोमा, एक्यूट ल्यूकेमिया और स्तन कैंसर।

ली-फ़्रॉमेनी सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 1

मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 1 एक आनुवंशिक स्थिति है, जिसमें कैंसरयुक्त और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर के विकसित होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इनमें से ज़्यादातर ट्यूमर एंडोक्राइन तंत्रमें विकसित होते हैं। मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 1 के बारे में विस्तार से जानें

मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 2

मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 2 एक आनुवंशिक स्थिति है, जो एंडोक्राइन तंत्र में कैंसर विकसित करने के जोखिम को बढ़ा देता है। मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 2 वाले व्यक्तियों में मेडुल्लारी थॉयरॉइड कैंसर (एमटीसी) और फियोक्रोमोसाइटोमाविकसित होने का जोखिम होता है, जो , अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रेनल ग्लैंड) के ट्यूमर हैं। ऐसी स्थिति वाले लोगों के एंडोक्राइन ऊतक या ग्रंथियों में अन्य किस्म की असामान्य वृद्धि हो सकती है। मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया टाइप 2 के बारे में विस्तार से जानें

न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1

न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 एक ऐसा वंशानुगत विकार है, जो शरीर के बहुत से हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इनमें त्वचा, आंखें, हड्डियां, रक्त वाहिकाएं और तंत्रिका तंत्र शामिल हैं। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 वाले लोगों में ख़ास तरह के कैंसरयुक्त और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर होने की बहुत अधिक संभावना होती है। इन स्थितियों में न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी ट्यूमर, फियोक्रोमोसाइटोमा, खून का कैंसर, और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (जीआईएसटी) शामिल हैं। स्थिति की गंभीरता और शरीर के किस हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं, यह अलग-अलग व्यक्ति में भिन्न होते हैं। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 के बारे में विस्तार से जानें

न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2

न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 एक आनुवंशिक स्थिति है, जो मुख्यतया तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 वाले लोग में उनके तंत्रिका तंत्र में ट्यूमर विकसित होने का अधिक ख़तरा होता है। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 वाले लोगों में सबसे सामान्य किस्म का ट्यूमर वेस्टिबुलर श्वाननोमा, (जो अकूस्टिक न्यूरोमा भी कहलाता है) है। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 वाले रोगियों में, वेस्टिबुलर श्वाननोमा आमतौर पर दोनों सुनने से संबंधित तंत्रिकाओं में औसतन 18-24 साल की उम्र में होता है। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 वाले लगभग सभी रोगियों में 30 साल की उम्र तक बाइलेटरल (दोनो तरफ) वेस्टिबुलर श्वाननोमा में विकसित होगा। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 के बारे में विस्तार से जानें

नेवॉइड बेसल सेल कार्सिनोमा सिंड्रोम (गोरलिन सिंड्रोम)

नेवॉइड बेसल सेल कार्सिनोमा सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लोगों को किसी ख़ास तरह के कैंसरयुक्त और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर विकसित होने का बहुत अधिक ख़तरा होता है। ट्यूमर त्वचा, जबड़ों, दिल, अंडाशय और मस्तिष्क में विकसित हो सकता है। नेवॉइड बेसल सेल कार्सिनोमा सिंड्रोम वाले लोगों में शारीरिक तौर पर अंतर भी हो सकता है। मसलन मस्तिष्क में बहुत अधिक मात्रा में तरल पदार्थ होने के कारण सिर के आकार का बड़ा होना, चेहरे पर सफ़ेद गांठें, अतिरिक्त अंगुलियां और पैरों के अंगूठे, होंठ और तालू का कटा होना और सीखना चुनौतिपूर्ण हो सकता है। नेवॉइड बेसल सेल कार्सिनोमा सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

नोनन सिंड्रोम

नोनन सिंड्रोम वाले लोगों में कुछ किस्म के कैंसर और रक्त विकारों के विकसित होने का जोखिम थोड़ा-सा ज़्यादा होता है। इन स्थितियों में मायलोप्रोलिफ़ेरेटिव विकार, किशोर मायलोमानोसाइटिक ल्यूकेमिया (खून का कैंसर, न्यूरोब्लास्टोमा और एम्ब्रायोनल रबडोमायोसार्कोमा शामिल हैं। नोनन सिंड्रोम वाले लोगों में वृहद् कोशिका घाव और दानेदार कोशिका संबंधी ट्यूमर जैसे कुछ किस्म के गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर के विकसित होने का जोखिम थोड़ा-सा बढ़ जाता है। नोनन सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

पोएत्ज़-जेगर्स सिंड्रोम

पोएत्ज़-जेगर्स सिंड्रोम एक ऐसी आनुवंशिक स्थिति है, जिमसें व्यक्ति में किसी विशेष प्रकार के कैंसर के विकसित होने की का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसे कैंसरों में पेट, भोजन-नली, आंत, पैंक्रिअटिटिस ( पाचक-ग्रंथि में सूजन ), बृहदान्त्र, मलाशय, स्तन, गर्भाशय, ग्रीवा, फेफड़े, डिंबग्रंथि और वृषण संबंधी कैंसर शामिल हैं। पोएत्ज़-जेगर्स सिंड्रोम वाले लोगों में पाचन प्रणाली में पॉलीपस नामक गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि का ख़तरा कहीं अधिक बढ़ सकता है। कैंसरयुक्त और गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि गुर्दों, फेफड़ों पित्ताशय की थैली, नाक की नली, मूत्राशय या मूत्रनली में भी दिखाई देने लगता है। पोएत्ज़-जेगर्स सिंड्रोम वाले लोगों की त्वचा के कुछ हिस्सों में अक्सर दिखने में झाइयों जैसे छोटे, गहरे रंग के धब्बे होते हैं। पोएत्ज़-जेगर्स सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

पीटेन हमर्टोमा ट्यूमर सिंड्रोम

पीटेन हमर्टोमा ट्यूमर सिंड्रोम एक ऐसी आनुवंशिक स्थिति है, जिमसें हमर्टोमा नामक गैर कैंसरयुक्त वृद्धि शरीर के विभिन्न हिस्सों में विकसित होने लगते हैं। हमर्टोमा के अलावा रोगियों का सिर औसत आकार की तुलना में बड़ा, त्वचा में असामान्य वृद्धि, और सीखने के मामले में भिन्नता समेत अन्य किस्म के शारीरिक बदलाव हो सकते हैं। पीटेन हमर्टोमा ट्यूमर सिंड्रोम वाले लोगों में स्तन, थायरॉयड, किडनी, गर्भाशय, कोलोरेक्टल और त्वचा संबंधी कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। पीटेन हमर्टोमा ट्यूमर सिंड्रोम के बारे में विस्तार से पढ़ें

रबडॉइड ट्यूमर प्रीडिस्पोज़िशन सिंड्रोम

जिन्हें रबडॉइड ट्यूमर प्रीडिस्पोज़िशन सिंड्रोम है, उनमें रबडॉइड ट्यूमर के विकसित होने का ख़तरा बढ़ जाता है। तेज़ी से विकसित होने वाले ये ट्यूमर अक्सर मस्तिष्क, रीढ़ के अंदर की नस और गुर्दे में होते हैं। कोमल ऊतक, फेफड़ों, त्वचा और दिल में भी कैंसर विकसित हो सकते हैं। ऐसे ट्यूमर ज़्यादातर बच्चों में आम हैं। रबडॉइड ट्यूमर प्रीडिस्पोज़िशन सिंड्रोम वाले लोगों में गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है जो तंत्रिका में विकसित होता है, श्वाननोमा कहलाता है। ये ट्यूमर वयस्कों में अधिक आम हैं। रबडॉइड ट्यूमर प्रीडिस्पोज़िशन सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानें

टूबेरौस स्क्लेरोसिस कॉम्प्लेक्स

टूबेरौस स्क्लेरोसिस कॉम्प्लेक्स एक ऐसा आनुवंशिक विकार है, जिससे त्वचा, मस्तिष्क, किडनी और अन्य अंगों में गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर हो सकते हैं। कभी-कभी ये ट्यूमर स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या को जन्म देते हैं। टूबेरौस स्क्लेरोसिस कॉम्प्लेक्स के कारण विकास की अवस्था से जुड़ी समस्याएं पेश आ सकती हैं। स्थिति के संकेत और लक्षण अलग-अलग होते हैं। लगभग सभी प्रभावित लोगों की त्वचा में असामान्यताएं होती हैं, इनमें हल्के रंग की त्वचा पर असामान्य धब्बे, जगह उभरी हुई और त्वचा मोटी और नाखूनों के नीचे वृद्धि शामिल होती है। चेहरे का ट्यूमर, जो एंजियोफिब्रोमा कहलाता है, उसकी शुरुआत बचपन में भी आम है। टूबेरौस स्क्लेरोसिस कॉम्प्लेक्स के बारे में विस्तार से पढ़ें

वॉन हिप्पल लिंडौ सिंड्रोम

वॉन हिप्पल लिंडौ सिंड्रोम एक ऐसी विरल स्थिति है, जिसके कारण व्यक्ति में विशेष किस्म का गैर-कैंसरयुक्त और कैंसरयुक्त ट्यूमर विकसित होने की संभावना होती है। वॉन हिप्पल लिंडौ सिंड्रोम वाले लोगों में तंत्रिका तंत्र और रेटिना में हेमैनगियोब्लास्टोमास नामक ट्यूमर, आंतरिक कान में एंडोलिम्फेटिक सैक ट्यूमर, गुर्दे का सिस्टस या कैंसर, अग्नाशय का सिस्टस या कैंसर, पैंक्रिअटिटिस ( पाचक-ग्रंथि में सूजन ) में फियोक्रोमोसाइटोमानामक ट्यूमर और जननांग प्रणाली में पैपिलरी सिस्टडेनोमासनामक ट्यूमर विकसित हो सकता है। वॉन हिप्पल लिंडौ सिंड्रोम के बारे में विस्तार से पढ़ें

WT1-संबंधी सिंड्रोम्स

WT1-संबंधी विल्म्स ट्यूमर ससेप्टबिलिटी सिंड्रोम्स ऐसी स्थितियां हैं, जो गुर्दे को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी स्थितियों वाले लोगों के गुर्दे में विल्म्स ट्यूमर नामक कैंसरयुक्त ट्यूमर विकसित होने का बड़ा ख़तरा होता है। WT1-संबंधी सिंड्रोम्स वाले लोगों में चिकित्सा संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इनमें प्रजनन से जुड़े अंगों, आंखों और कभी-कभी आचरण या विकास से जुड़ी समस्याएं शामिल हो सकती हैं। WT1 -संबंधी विल्म्स ट्यूमर ससेप्टबिलिटी सिंड्रोम्स के बारे में विस्तार से पढ़ें

एक्स-लिंक्ड लिंफ़ोप्रोलिफ़रेटिव सिंड्रोम

एक्स-लिंक्ड लिंफ़ोप्रोलिफ़रेटिव सिंड्रोम (XLP) एक विरल किस्म का विकार है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं करती है। (एक्सएलपी) वाले लोगों में गंभीर संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस (एफआईएम) नामक गंभीर प्रतिक्रिया विकसित होने की संभावना होती है। एफआईएम में बहुत सारी प्रतिरक्षा संबंधी कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं और जिगर, तिल्ली / प्लीहा, बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहां खून बनता है) और मस्तिष्क समेत शरीर के विभिन्न अंगों में इसका निर्माण होने लगता है। यह प्रतिक्रिया कभी-कभी "हेमोफ़ेगोसिटिक लिंफ़ोहिस्टोसाइटोसिस" (एचएलएच) भी कहलाती है। एक्सएलपी वाले लोग लगभग हमेशा पुरुष ही होते हैं। यह स्थिति हर साल 1,000,000 लड़कों या युवा पुरुषों में 1 से भी कम में रोग की पहचान होती है। एक्स-लिंक्ड लिंफ़ोप्रोलिफ़रेटिव सिंड्रोम (एक्सएलपी) के बारे में विस्तार से जानें

ज़ेरोडर्मा पिगमेंटोसम

ज़ेरोडर्मा पिगमेंटोसम सामान्य तौर पर एक्सपी के रूप में जाना जाता है, यह एक वंशानुगत स्थिति है, जो सूर्य की रोशनी के पराबैंगनी (UV) किरणों के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता की श्रेणी में चिह्नित किया गया है। यह स्थिति ज़्यादातर सूर्य की रोशनी के संपर्क आने पर आंखों और त्वचा को प्रभावित करती है। इससे प्रभावित कुछ लोगों को तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं पेश आती हैं। ज़ेरोडर्मा पिगमेंटोसम वाले लोगों में त्वचा का कैंसर विकसित होने का ख़तरा बढ़ जाता है। सूर्य की रोशनी से सुरक्षा के बिना इस स्थिति वाले लगभग आधे बच्चों में 10 साल की उम्र में त्वचा का कैंसर विकसित होता है। ज़ेरोडर्मा पिगमेंटोसम वाले ज़्यादातर लोगों में उनके जीवनकाल में त्वचा के एकाधिक कैंसर विकसित होते हैं। इस तरह के कैंसर चेहरे, होठों और आंखों की पलकों में होते हैं। ऐसे कैंसर खोपड़ी, आंखों और जीभ के सिरे में भी हो सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि ज़ेरोडर्मा पिगमेंटोसम वाले लोगों में ब्रेन ट्यूमर जैसे अन्य प्रकाा के कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है। इसी के साथ सिगरेट पीने वाले व्यक्ति को फेफड़े के कैंसर का ख़तरा होता है। ज़ेरोडर्मा पिगमेंटोसम के बारे में विस्तार से जानें


समीक्षा की गई: दिसंबर 2018