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हड्डियों का कैंसर

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) क्या है?

ओस्टियोसारकोमा एक प्रकार का हड्डी का कैंसर है जो ज़्यादातर बच्चों और युवा वयस्कों में देखा जाता है। यह बच्चों में होने वाला एक सबसे आम केंद्रीय हड्डी का ट्यूमर है। अमेरिका में हर वर्ष लगभग 400 बच्चों और किशोरों में यह रोग पाया जाता है। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) किशोरों में होने वाला तीसरा सबसे आम कैंसर है।

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) किसी भी हड्डी में हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर टांग और बाजू की लंबी हड्डियों के चौड़े सिरों में होता है। यह ज़्यादातर हड्डी की अपरिपक्व कोशिकाओं (ओस्टियोब्लास्ट) में होना शुरू होता है, जो हड्डी के नए ऊतक का निर्माण करती हैं।

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) विकसित होने के सबसे आम स्थान जांघ की हड्डी (फीमर) के निचले भाग में और पिंडली के ऊपरी भाग (टिबिया) में घुटने के पास होते हैं। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) विकसित होने का एक अन्य आम स्थान कंधे के पास ऊपरी बाजू की हड्डी (ह्यूमेरस) है। यह कभी-कभी सपाट हड्डियों जैसे कि पेडू या खोपड़ी में भी निर्मित होता है, लेकिन ऐसा बहुत कम ही होता है। दुर्लभ स्थितियों में, हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी के अलावा कोमल ऊतक में पाया जा सकता है।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी के अंदर (केंद्रीय ट्यूमर) या हड्डी की बाहरी सतह पर (सतह के ट्यूमर) निर्मित हो सकते हैं। बच्चों में होने वाले अधिकांश हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी के अंदर बिल्कुल मध्य में स्थित होते हैं।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के जोखिम कारक और कारण

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) सामान्यतया 10 वर्ष की आयु के बाद होता है और 5 वर्ष की आयु से पहले बहुत ही कम होता है।

कुछ ऐसे कारक हैं जिनसे हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) होने का जोखिम बढ़ सकता है।

  • हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) अक्सर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में थोड़ा ज़्यादा होता है।
  • कोकेशियान की तुलना में अफ़्रीकी-अमेरिकी बच्चों में हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) होने का अधिक जोखिम होता है।
  • कैंसर से ठीक होकर बचे जिन लोगों का इलाज रेडिएशन थेरेपी से किया गया था, उनमें हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) होने का अधिक जोखिम होता है।
  • आनुवंशिक कारकों से हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) होने का जोखिम बढ़ सकता है। कुछ प्रतिशत बच्चों में परिवर्तन या उत्परिवर्तन होते हैं जिससे उन्हें हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) और अन्य कैंसर होने का अधिक जोखिम होता है। इसी कारण से, आनुवंशिकरेटिनोब्लास्टोमा वाले, एकाधिक कैंसर के इतिहास वाले, तथा स्तन कैंसर, खून का कैंसर (ल्यूकेमिया), मस्तिष्क का कैंसर और हड्डियों या कोमल ऊतकों में ट्यूमर के लंबे पारिवारिक इतिहास वाले लोगों में इसके होने का अधिक जोखिम होता है।
  • वंशाणु उत्परिवर्तनों के कारण होने वाली अन्य विरल स्थितियों से भी हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) होने का जोखिम बढ़ सकता है। इनमें ली-फ़्रॉमेनी सिंड्रोम, रोथमंड-थॉमसन सिंड्रोम, ब्लूम सिंड्रोम, वर्नर सिंड्रोम और डायमंड-ब्लैकफैन एनीमिया शामिल हैं।
ओस्टियोसारकोमा एक प्रकार का हड्डियों का कैंसर है। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) किसी भी हड्डी में हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर टांग और बाजू की लंबी हड्डियों के चौड़े सिरों में होता है। हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी के अंदर (केंद्रीय ट्यूमर) या हड्डी की बाहरी सतह पर (सतह के ट्यूमर) निर्मित हो सकते हैं। बच्चों में होने वाले अधिकांश हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी के अंदर बिल्कुल मध्य में स्थित होते हैं। स्किप लीज़न की जांच करने के लिए एक्स-रे जैसी इमेजिंग जांचों का उपयोग किया जा सकता है। स्किप लीज़न तब होता है जब कैंसर केंद्रीय ट्यूमर से हड्डी के अन्य भागों में फैलता है।

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) किसी भी हड्डी में हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर टांग और बाजू की लंबी हड्डियों के चौड़े सिरों में होता है। हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी के अंदर (केंद्रीय ट्यूमर) या हड्डी की बाहरी सतह पर (सतह के ट्यूमर) निर्मित हो सकते हैं। बच्चों में होने वाले अधिकांश हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी के अंदर बिल्कुल मध्य में स्थित होते हैं। स्किप लीज़न की जांच करने के लिए एक्स-रे जैसी इमेजिंग जांचों का उपयोग किया जा सकता है। स्किप लीज़न तब होता है जब कैंसर केंद्रीय ट्यूमर से हड्डी के अन्य भागों में फैलता है।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के संकेत और लक्षण

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) हड्डी को क्षतिग्रस्त या कमज़ोर कर देता है। लक्षण ट्यूमर के स्थान पर निर्भर करते हैं। पहली बार में संकेतों को पहचानना कठिन हो सकता है और ये संकेत अन्य स्थितियों के लक्षणों के जैसे हो सकते हैं।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • हड्डी या जोड़ों में दर्द होना
  • जोड़ वाली जगह को हिलाने में समस्याएं
  • हड्डी के ऊपर कोई गाँठ या सूजन
  • लंगड़ाहट या चलने में समस्या
  • टूटने वाली हड्डी (फ़्रैक्चर)

दर्द सप्ताह या महीनों में और बढ़ जाता हो। दर्द के कारण बच्चा आधी रात को जाग जाता हो। बिना पर्ची के दर्द निवारक दवाइयां जैसे आइबुप्रोफ़ेन या एसिटामिनोफ़ेन से अधिक समय तक पर्याप्त रूप से दर्द में राहत न मिलती हो।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के लक्षण ट्यूमर के स्थान पर निर्भर करते हैं। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) विकसित होने के सबसे आम स्थान जांघ की हड्डी के निचले भाग में और पिंडली के ऊपरी भाग में घुटने के पास होते हैं। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) विकसित होने का एक अन्य आम स्थान कंधे के पास ऊपरी बाजू की हड्डी है। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) पेडू या खोपड़ी में भी हो सकता है।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के लक्षण ट्यूमर के स्थान पर निर्भर करते हैं। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) विकसित होने के सबसे आम स्थान जांघ की हड्डी के निचले भाग में और पिंडली के ऊपरी भाग में घुटने के पास होते हैं। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) विकसित होने का एक अन्य आम स्थान कंधे के पास ऊपरी बाजू की हड्डी है। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) पेडू या खोपड़ी में भी हो सकता है।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) रोग की पहचान करना

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) रोग की पहचान करने के लिए कई प्रकार की जांचों का उपयोग किया जाता है। इन जाँचों में शामिल है:

  • लक्षणों, सामान्य स्वास्थ्य, पिछली बीमारी और जोखिम कारकों के बारे में जानने के लिए स्वास्थ्य इतिहास, शारीरिक जांच और खून की जांचें।
  • ट्यूमर का पता लगाने और अन्य आवश्यक जांचों का निर्धारण करने में मदद के लिए इमेजिंग जांचें।
    • “स्किप” लीज़न का पता लगाने के लिए पूरी हड्डी के एक्स-रे का उपयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) केंद्रीय ट्यूमर से हड्डी के अन्य भागों में फैल गया है।
    • हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) फेफड़ों तक फैला है या नहीं, यह देखने के लिए छाती के सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है।
    • ट्यूमर का आकलन करने और सर्जरी की योजना बनाने में सहायता के लिए एमआरआई का उपयोग किया जाता है।
    • हड्डी और शरीर के अन्य भागों में हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) का पता लगाने के लिए हड्डी के स्कैन या पैट स्कैन का इस्तेमाल करते हुए पूरे शरीर की इमेजिंग का उपयोग किया जाता है।
  • रोग की सही पहचान करने के लिए बायोप्सी (टुकड़ा निकालना)। बायोप्सी (टुकड़ा निकालना) में, चिकित्सक ट्यूमर से ऊतक का एक छोटा सा भाग निकालता है। ट्यूमर के स्थान के आधार पर इन्सिज़्नल बायोप्सी (काट कर टुकड़ा निकालना) या कोर नीडल बायोप्सी (टीके से कैंसर का टुकड़ा निकालना) का उपयोग किया जा सकता है। उसके बाद कैंसर के संकेतों को देखने के लिए कोशिकाओं की माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है। 
एक्स-रे, रोगी की जांघ की हड्डी में हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से स्किप लीज़न के अग्र/पश्च (आगे से पीछे तक) दृश्य को दिखाता है।
एक्स-रे, रोगी की जांघ की हड्डी में हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से स्किप लीज़न के पार्श्व या एक ओर के दृश्य को दिखाता है।

बच्चों में होने वाले हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से पीड़ित रोगियों के लिए, एक्स-रे का उपयोग स्किप लीज़न का पता लगाने के लिए किया जाता है।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से पीड़ित एक छोटी आयु के रोगी की छाती का सीटी मेटास्टैटिक रोग के संकेतों को दर्शाता है
हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से पीड़ित एक छोटी आयु के रोगी की छाती का सीटी मेटास्टैटिक रोग के संकेतों को दर्शाता है
हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से पीड़ित एक छोटी आयु के रोगी की छाती का सीटी मेटास्टैटिक रोग के संकेतों को दर्शाता है
हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से पीड़ित एक छोटी आयु के रोगी की छाती का सीटी मेटास्टैटिक रोग के संकेतों को दर्शाता है

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) फेफड़ों तक फैला है या नहीं, यह देखने के लिए छाती के सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के स्तर का पता लगाना

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) को आमतौर पर स्थानिक (एक जगह या अंग तक सीमित) या मेटास्टैटिक (कैंसर फैला हुआ) के रूप में वर्णित किया जाता है। एक जगह या अंग तक सीमित हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) का अर्थ है कि ट्यूमर शरीर में केवल एक ही स्थान पर स्थिर है। मेटास्टैटिक (ओस्टियोसारकोमा) का अर्थ है कि कैंसर फेफड़ों या अन्य हड्डियों जैसे दूसरे भागों तक फैल चुका है। हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) फैलने का सबसे आम स्थान फेफड़े हैं।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के लिए पूर्वानुमान

एक एकल, एक जगह या अंग तक सीमित हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) वाले रोगी जिनमें से इस ट्यूमर को पूरी तरह से निकाला जा सकता है, उनके लंबे समय तक ठीक रहने की 65-70% संभावना होती है। यदि रोग की पहचान करते समय हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) पहले से ही फैला हुआ है (मेटास्टैटिक ओस्टियोसारकोमा), तो इसमें जीवित रहने की संभावना लगभग 30% होती है। 

पूर्वानुमान बहुत से कारको पर निर्भर करता है:

  • ट्यूमर का आकार और स्थान
  • कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैला है या नहीं
  • ट्यूमर को पूरी तरह से निकालने की सर्जरी की क्षमता
  • क्या कैंसर दुबारा हुआ है (वापस आया है)
  • ट्यूमर पर कीमोथेरेपी का कितना असर होता है

लगभग 30% रोगियों में कैंसर दुबारा होगा। यह ज़्यादातर फेफड़ों में नए नॉड्यूल के रूप में होता है। उन लोगों के लिए जिनमें रोग वापस आ जाता है, कुछ परिवर्ती स्थितियां पूर्वानुमान को प्रभावित करती हैं जिनमें सर्जरी द्वारा ट्यूमर को काटकर निकालने की योग्यता और रोग का वापस आने का समय शामिल है। जिन रोगियों में रोग की पहचान किए जाने के बाद के पहले 18 महीनों में रोग की जल्दी वापसी होती है, उनका बाद में रोग की वापसी होने वाले रोगियों की तुलना में इलाज करना आमतौर पर बहुत अधिक कठिन होता है। यदि कैंसर का इलाज हो जाता है और वह वापस आ जाता है, तो रोग के वापस आने के बाद 10-वर्ष तक जीवित रहने की दर लगभग 17% है। जीवित रहने की संभावना, आगे रोग के वापस आने के साथ कम हो जाती है। 

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) का इलाज

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) का इलाज आमतौर पर कीमोथेरेपी द्वारा और उसके बाद सर्जरी द्वारा किया जाता है। यदि ट्यूमर सर्जरी द्वारा हटाने योग्य नहीं है या यदि सर्जरी के बाद पीछे कोई बीमारी रह जाती है तो ऐसे में रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।

हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के बाद जीवन

रोग के दुबारा होने की निगरानी

रोगियों को इलाज समाप्त होने के बाद, रोग के दुबारा होने की जांच करने के लिए कई वर्षों तक फॉलो-अप देखभाल प्राप्त होगी। चिकित्सीय टीम आवश्यक जांचों की बारंबारता और प्रकारों के लिए विशेष सुझाव देगी। जांच परीक्षण में आमतौर पर खून की जांचें, फेफड़ों के सीटी स्कैन और प्रभावित हड्डी के एक्स-रे शामिल होते हैं।

वे रोगी जो कुछ वंशानुगत सिंड्रोम या आनुवंशिक स्थितियों से ग्रस्त हैं, उनमें भविष्य में कैंसर होने का जोखिम हो सकता है और उन्हें अतिरिक्त फॉलो-अप देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।

अंग को बचा कर ट्यूमर निकालने की सर्जरी या अंगविच्छेदन के बाद जीवन

कुल मिलाकर, अंगविच्छेदन या अंग को बचा कर ट्यूमर निकालने की सर्जरी करवाने वाले, हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से बचने वाले अधिकांश रोगी समय के साथ बेहतर होते जाते हैं। वे अच्छी शारीरिक क्रिया और जीवन शैली होने की रिपोर्ट करते हैं। निरंतर गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए फॉलो-अप देखभाल आवश्यक होती है। मस्कुलोस्केलेटल फ़ंक्शन की जांच के लिए रोगियों को प्रति वर्ष अपनी जांच करवानी चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि रोगी में कोई लंबे अरसे से चली आ रही समस्याएं तो नहीं हैं। अंग की असमान लंबाई, चाल में परिवर्तन, जोड़ों की समस्याओं या अन्य समस्याओं के कारण क्रॉनिक (पुराना) दर्द या अक्षमता हो सकती है। इन समस्याओं की पहचान की जानी चाहिए और उनका उचित रूप से समाधान किया जाना चाहिए।

जिन रोगियों का अंगविच्छेदन हुआ है, उन्हें भी अपने कृत्रिम अंग की क्रिया को बनाए रखने के लिए वार्षिक जांच करवानी चाहिए। हड्डियों के सर्जन को वर्ष में कम से कम एक बार एंडोप्रोस्थेसिस (अस्थि निरोप और/या धातु प्रत्यारोपण) के रोगियों का आकलन करना चाहिए। जिन रोगियों की अंग को बचा कर ट्यूमर निकालने की सर्जरी हुई है, उन्हें वयस्क व्यक्ति की लंबाई तक पहुँचने तक अंग को लंबा करने के लिए अतिरिक्त सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के बाद स्वास्थ्य

हड्डियों के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) के लिए इलाज किए गए बच्चों को थेरेपी संबंधित देरी से होने वाले प्रभावों का जोखिम होता है। रोग से ठीक होकर जीवित बचे सभी लोगों को एक प्राथमिक चिकित्सक द्वारा अपनी नियमित शारीरिक जांच करवानी चाहिए। सामान्य स्वास्थ्य और बीमारी की रोकथाम के लिए, रोग से ठीक होकर जीवित बचे लोगों को स्वस्थ जीवन शैली और खान-पान की आदतें अपनानी चाहिए।

हड्डी के कैंसर से बचने वाले लोग सामान्य लोगों की तुलना में कम सक्रिय होते हैं। स्वास्थ्य, फिटनेस और शारीरिक क्रियाओं को बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है। यह उन रोगियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिनमें अंग को बचा कर ट्यूमर निकालने की सर्जरी या अंगविच्छेदन हुआ है।

रोग से बचे लोग जिनका इलाज पूरे शरीर में कीमोथेरेपी या रेडिएशन द्वारा किया गया था, उनकी तीव्र या देर से होने वाले प्रभावों के लिए निगरानी की जानी चाहिए। इलाज के कारण होने वाली संभावित समस्याओं में सुनाई न देना, हृदय से संबंधित समस्याएं, गुर्दे खराब होना और द्वितीयक कैंसर शामिल हैं।

बचपन में होने वाले कैंसर के उत्तरजीविता अध्ययन के अनुसार, रोग से ठीक होकर जीवित रहने वाले लगभग 25% लोगों में रोग की पहचान किए जाने के 25 वर्ष बाद भी गंभीर क्रॉनिक (पुराना) स्वास्थ्य संबंधित स्थितियां मौजूद रहती हैं। इन स्थितियों में दूसरी बार होने वाले कैंसर (रेडिएशन के संपर्क में आने के बाद जोखिम में वृद्धि), कोंजेस्टिव हृदय विफलता (डॉक्सोरूबिसिन का प्रभाव), बांझपन या गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं और अंतिम-स्तर की गुर्दे की बीमारी या गुर्दे का काम न करना शामिल हैं। प्राथमिक देखभाल चिकित्सक द्वारा नियमित मुआयने से रोग से बचने वाले रोगियों को किसी भी देर से होने वाले प्रभाव को मॉनिटर और प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।


समीक्षा की गई: जून 2018