रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी सहित, कैंसर इलाजों के कारण विभिन्न प्रकार की त्वचा संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। आम त्वचा परिवर्तनों में लालिमा, दाने, सूखापन, त्वचा का छिलना और खुजली शामिल हैं। त्वचा का रंग बदल सकता है और त्वचा जगह-जगह से हल्के या गहरे रंग की हो सकती है। कैंसर रोगियों में त्वचा में घाव होना या दरारें पड़ना भी एक आम बात है। इन त्वचा संबंधी दुष्प्रभावों के कारण असुविधा हो सकती है और इनसे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
कैंसर के दौरान, रोगियों और परिवारों को त्वचा के कटने-फटने के संकेतों पर नज़र रखनी चाहिए और त्वचा की सुरक्षा का अधिक ध्यान रखना चाहिए। साधारण चरण मदद कर सकते हैं जैसे रूखी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना, सनस्क्रीन का उपयोग करना, और संक्रमण के संकेतों का ध्यान रखना।
कैंसर इलाज के दौरान आम त्वचा परिवर्तन
रेडिएशन थेरेपी के दौरान त्वचा में परिवर्तन होना एक आम बात है। रेडिएशन प्राप्त करने वाले लगभग सभी रोगियों में इलाज किए गए भाग की त्वचा में कुछ अस्थाई परिवर्तन होंगे। त्वचा लाल हो सकती है और खुजलाहट के साथ त्वचा रूखी या फीकी पड़ सकती है। त्वचा उतर सकती है या उसमें फफोले पड़ सकते हैं। इलाज किए गए भाग के बाल भी उड़ सकते हैं।
रेडिएशन के त्वचा संबंधी दुष्प्रभाव आमतौर पर इलाज के पहले कुछ हफ़्तों में धीरे-धीरे बढ़ते हैं और रेडिएशन थेरेपी पूरी हो जाने के बाद उनमें सुधार होने लगता है। हालांकि, रेडिएशन द्वारा इलाज की गई त्वचा इलाज के दौरान और उसके बाद, दोनों ही स्थितियों में धूप के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएगी। रेडिएशन द्वारा इलाज की गई त्वचा में कीमोथेरेपी के बाद कुप्रभाव भी उत्पन्न हो सकता है जिसे रेडिएशन के बाद त्वचा में लाली कहा जाता है।
रेडिएशन थेरेपी के दौरान त्वचा को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है और ऐसे में देखभाल टीम के निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण होता है। रेडिएशन थेरेपी के दौरान त्वचा की देखभाल के बारे में अधिक पढ़ें।
कीमोथेरेपी या “कीमो”, तेज़ी से बढ़ने वाली कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाते हुए कार्य करती हैं। हालांकि, कीमोथेरेपी त्वचा कोशिकाओं जैसी अन्य प्रकार की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकती है। कीमोथेरेपी के दौरान होने वाले त्वचा संबंधी आम परिवर्तनों में लाल दाने, लालिमा और खुजलीदार, रूखी त्वचा शामिल है। कुछ दवाओं से बालों का झड़ना भी आम समस्या है। कुछ कीमोथेरेपी दवाओं से त्वचा, नाखून या बालों में गहरा या अन्य रंग परिवर्तन होते हैं। त्वचा के रंग बिगड़ने की समस्या अक्सर क्षतिग्रस्त त्वचा वाले भागों में उत्पन्न होती है; जैसे कि, रोगी में खुजली वाली त्वचा को खुजलाने से काली धारियां पड़ सकती हैं। कभी-कभी, हाथ और पैर के नाखून अपने नखाधार से अलग हो जाते हैं, इस स्थिति को ऑन्कोलीसिस कहा जाता है। कीमोथेरेपी से फ़ोटोसेंसिटिविटी भी हो सकती है, जिसमें त्वचा धूप के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील हो जाती है जिससे त्वचा गंभीर रूप से झुलस सकती है।
कुछ दवाओं से IV या इंजेक्शन की जगह के आसपास की त्वचा में जलन हो सकती है और यदि दवा रिस कर त्वचा पर लग जाती है तो उससे घाव हो सकते हैं। यदि इन्फ़्यूज़न के दौरान चुभन या जलन हो रही हो तो देखभाल टीम के किसी सदस्य को इसके बारे में बताना ज़रूरी होता है।
प्रत्येक कैंसर दवा के लिए विशिष्ट त्वचा समस्या होने की संभावना अलग-अलग होती है। देखभाल टीम परिवारों को यह जानने में मदद कर सकती है कि किस प्रकार के त्वचा परिवर्तनों के होने की सबसे अधिक संभावना है, वे आमतौर पर कब होते हैं और वे कब तक बने रह सकते हैं।
लक्षित इलाज कैंसर कोशिकाओं को नियंत्रित करने वाले विशेष लक्षणों पर कार्रवाई करते हुए कार्य करती है। लेकिन ये दवाएं त्वचा की कोशिकाओं और शरीर की अन्य कोशिकाओं को भी बदल सकती हैं, जिससे दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। लक्षित इलाज के दौरान त्वचा संबंधी समस्याएं आमतौर पर हल्की होती हैं और दवा के प्रकार व खुराक पर निर्भर करती हैं। लक्षित इलाज का एक सबसे प्रमुख दुष्प्रभाव त्वचा पर लाल दाने होना है जो बिल्कुल मुंहासों की तरह दिखते हैं। अन्य त्वचा संबंधी परिवर्तनों में खुजली होना, रूखापन, धूप के प्रति संवेदनशीलता और त्वचा का रंग बदलना शामिल हैं।
कुछ दवाओं से हाथ-पैर की त्वचा से संबंधित कुप्रभाव हो सकते हैं जिसमें दर्दनाक फफोले या कैलस हो जाते हैं जो रगड़ लगने या दवाब के कारण होते हैं। इसके कुप्रभाव से हाथों और पैरों का सुन्न होना, झुनझुनी, जलन और ऊष्मा के प्रति अधिक संवेदनशीलता भी हो सकती है।
इम्यूनोथेरेपी वह इलाज है जो कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करती है। हालांकि, प्रतिरक्षा प्रणाली भी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर सकती है और दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकती है। लाल दाने और खुजली जैसी समस्याएं इम्यूनोथेरेपी से होने वाले त्वचा संबंधी आम दुष्प्रभाव हैं। कभी-कभी इससे त्वचा का रंग फीका पड़ सकता है और त्वचा पर फुंसियां या फफोले हो सकते हैं। रोगियों के बाल भी झड़ सकते हैं, जिसमें चकत्तों के रूप में जगह-जगह या पूरे शरीर के बाल झड़ सकते हैं। इम्यूनोथेरेपी के त्वचा-संबंधी दुष्प्रभाव इलाज के बाद हफ़्तों या महीनों में विकसित हो सकते हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (जिसे हेमेटोपोएटिक सेल ट्रांसप्लांट या बोन मैरो ट्रांसप्लांट के रूप में भी जाना जाता है) करवाने वाले रोगियों में कीमोथेरेपी या रेडिएशन के कारण अक्सर त्वचा संबंधी दुष्प्रभाव होते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ रोगियों में ग्राफ्ट वर्सेज होस्ट डिसीज़ (जीवीएचडी) के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जीवीएचडी बहुत तीव्र या क्रॉनिक (पुराना) भी हो सकता है।
तीव्र जीवीएचडी में, सामान्य लक्षणों में त्वचा पर लाल दाने, फुंसियां और त्वचा का लाल होना शामिल है। दाने अक्सर गर्दन, कान, कंधे, हथेलियां या पैर के तलवे पर शुरू होते हैं। त्वचा में खुजली हो सकती है या त्वचा झुलस सकती है। यदि जीवीएचडी गंभीर है, तो त्वचा पर घाव या फफोले हो सकते हैं।
पुराने जीवीएचडी में, रोगियों को खुजली और जलन के साथ लाल दाने हो सकते हैं। त्वचा पपड़ीदार हो सकती है। फुंसियां, घाव या फफोले हो सकते हैं। बाल झड़ सकते हैं, नाखून खराब या नष्ट हो सकते हैं। त्वचा का रंग गहरा या हल्का हो सकता है। त्वचा की संरचना मोटी या कड़ी हो सकती है, जिससे त्वचा कसी हुई महसूस होती है और जोड़ों को हिलाना मुश्किल हो जाता है।
जीवीएचडी गंभीर हो सकता है और प्रत्यारोपण के बाद महीनों में विकसित हो सकता है। यदि जीवीएचडी होने का संदेह है, तो तुरंत देखभाल टीम से संपर्क करें।
त्वचा संबंधी दुष्प्रभावों के इलाज विशिष्ट लक्षणों, उनकी गंभीरता और अंतर्निहित कारण पर निर्भर करते हैं। देखभाल टीम इन पर विचार करेगी:
कैंसर के दौरान त्वचा की सामान्य देखभाल में त्वचा को साफ़ रखना व त्वचा की नमी बनाए रखना तथा त्वचा को जलन होने, चोट लगने और संक्रमण से बचाए रखना शामिल है। त्वचा की समस्या के आधार पर, चिकित्सक कोई दवा निर्दिष्ट कर सकता है जैसे कोर्टिकोस्टेरॉयड, जीवाणु नाशक दवाई, या एंटीहिसटामाइन। यह लगाने के लिए क्रीम के रूप में या खाने के लिए दी जा सकती है। यदि त्वचा की समस्या गंभीर है, तो लक्षणों के सुधरने तक कैंसर इलाज योजना को बदला जा सकता है। त्वचा विकारों की पहचान और इलाज करने में मदद के लिए त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श किया जा सकता है।
कैंसर इलाज के दौरान, त्वचा अक्सर अधिक संवेदनशील हो जाती है और उसमें आसानी से दर्द या जलन होने लगती है। त्वचा में किसी भी तरह का परिवर्तन होने पर परिवारों इसके बारे में देखभाल टीम को बताना चाहिए।
कैंसर के दौरान त्वचा की देखभाल के लिए सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
यदि किसी दवा या त्वचा उत्पाद से त्वचा में चुभन या जलन होती है, यदि अचानक ही लाल दाने हो जाते हैं या खुजली होती है, यदि लक्षण और बिगड़ जाते हैं या संक्रमण के संकेत दिखाई देते हैं तो परिवारों को इसके बारे में तुरंत देखभाल टीम को बताना चाहिए। त्वचा पर किसी भी नए उत्पाद का उपयोग करने से पहले हमेशा अपनी देखभाल टीम से बात करें।
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समीक्षा की गई: अप्रैल 2019