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दर्द प्रबंधन

कैंसर के उपचार के दौरान कुछ मौकों पर रोगियों को कुछ हद तक दर्द का अनुभव होगा। लेकिन ऐसे कई उपचार हैं जो इसे कम कर सकते हैं या कुछ मामलों में इसे रोक सकते हैं।

चिकित्सक और नर्स नियमित रूप से दर्द का इलाज करते हैं लेकिन कुछ मामलों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। यही समय है जब दर्द प्रबंधन टीम इसमे शामिल हो सकती है। संभावना है कि कैंसर का इलाज करने वाले अस्पतालों में यह विशेषता होगी।

दर्द प्रबंधन टीम क्या है?

दर्द प्रबंधन टीम स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों का एक समूह है जिन्हें दर्द के उपचार में विशेष प्रशिक्षण मिला है। चिकित्सा केंद्र के आधार पर एक दर्द प्रबंधन टीम में एक चिकित्सक, नर्स, मनोविज्ञानी (साइकोलॉजिस्ट), शारीरिक चिकित्सक, व्यावसायिक चिकित्सक और शिशु जीवन विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं।

दर्द क्यों होता है?

दर्द के कई कारण होते हैं और इसके उपचार के विभिन्न तरीके हैं। चिकित्सीय टीम रोगियों के साथ मिल कर यह निर्धारित करती है कि दर्द क्यों हो रहा है, दर्द कितना है और यह रोगी के रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता को कैसे प्रभावित करता है। फिर टीम रोगी और परिवार के साथ मिलकर उपचार की योजना तैयार करती है।

दर्द या तो तीव्र या क्रॉनिक (पुराना) हो सकता है। तीव्र दर्द तेजी से आता है और शरीर को सचेत करता है कि ऐसा कुछ विशेष हुआ है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सामान्य तौर पर तीव्र दर्द को ऊतक-संबंधी या नस-संबंधी दर्द के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ऊतक-संबंधी दर्द जिसे नोसीसेप्टिव या आंत का दर्द भी कहा जाता है, ऊतकों, अंगों या हड्डियों को नुकसान के कारण होता है। आमतौर पर दर्द की संवेदना ऐसी महसूस होती है जैसे किसी ने छुरा मार दिया हो या पीड़ा या टीस हो रही है। दर्द आ और जा सकता है या लगातार हो सकता है।

नस की चोट के कारण होने वाला दर्द न्यूरोपैथिक दर्द होता है। कुछ कीमोथेरेपी दवाएं, विशेष रूप से विन्क्रिस्टाईन, इस प्रकार के दर्द का कारण बन सकती हैं और इस दर्द को अक्सर एक तेज़ या जलन जैसा दर्द या झुनझुनी कहा जाता है। यह अपने आप खत्म हो सकता है लेकिन यह अक्सर क्रॉनिक (पुराना) होता है।

क्रॉनिक (पुराना) दर्द को आमतौर पर ऐसा दर्द कहा जाता है जो 12 सप्ताह से अधिक समय तक रहता है।

दर्द की पहचान कैसे होती है?

दर्द के कारण और काम के तरीके उलझन भरे और परस्पर जुड़े हो सकते हैं। जब चिकित्सीय टीम दर्द के कारणों को निर्धारित करती है, तो वह बायोसाइकोसोशल (जीव विज्ञान, मनोविज्ञान, और सामाजिक विज्ञान) मॉडल पर विचार करती है:

  • जैविक कारक — कैंसर या उसके उपचार के दुष्प्रभाव।
  • मनोवैज्ञानिक कारक — उदासी की बीमारी / निराशा की बीमारी, घबराहट, तनाव, क्रोध, चिंता या दर्द पर ध्यान बने रहना।
  • सामाजिक कारक — पारिवारिक तनाव, समर्थन की कमी, शौक और पसंदीदा गतिविधियों में मन न लगना, और दोस्ती में परिवर्तन।

चिकित्सीय टीम इस पर भी विचार करेगी कि दर्द कितना है और दर्द रोगी के रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता को कितना प्रभावित करता है। दर्द की तीव्रता का आकलन 0-10 के पैमाने पर किया जाता है। चिकित्सक कार्यात्मक मूल्यांकन करेंगे जिससे यह पता चलेगा कि दर्द से रोगी का दैनिक जीवन कितना प्रभावित है।

दर्द का इलाज कैसे किया जाता है?

इलाज में ये शामिल हो सकते हैं:

रोगियों और परिवारों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जब रोगी दर्द में हो तो चिकित्सीय टीम को बताएं ताकि एक उपचार की योजना बनाई जा सके। किसी भी दर्द प्रबंधन योजना का अंतिम लक्ष्य आराम, कार्य और उत्तम जीवन शैली प्रदान करना है।

उचित तकनीकों का उपयोग करके माता-पिता अपने बच्चों को दर्द से बचाव में मदद कर सकते हैं। किन्तु माता-पिता को खुद की देखभाल करने के तरीके भी खोजने चाहिए क्योंकि बच्चे के दर्द को देखना भी बहुत तनावपूर्ण हो सकता है। दर्द प्रबंधन टीम के सदस्य दर्द को संभालने और उसका सामना करने की कला को विकसित करने में मदद कर सकते हैं।


समीक्षा की गई: जून 2018

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