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दवाई देकर दर्द का प्रबंधन करना

चिकित्सक या नर्स बचपन में होने वाले कैंसर के रोगियों के उपचार के दौरान कई स्थितियों में दर्द की दवाएं लिख सकते हैं। जैसे कि, रोगियों को कुछ चिकित्सा प्रक्रियाओं के दौरान या कैंसर के उपचार से होने वाले दुष्प्रभाव के लिए दर्द की दवाएं मिल सकती हैं।

लंबे समय तक रहने वाले क्रॉनिक (पुराना) दर्द के लिए चिकित्सीय टीम इसका सुझाव सबसे अधिक देगी। किसी भी दर्द प्रबंधन योजना का अंतिम लक्ष्य आराम, कार्य और उत्तम जीवन शैली प्रदान करना है।

बचपन में होने वाले कैंसर में प्रक्रिया से संबंधित दर्द

बचपन में होने वाले कैंसर में संभावित दर्द देने वाली प्रक्रियाएं जैसे कि सुई लगाना या अधिक दर्द देने वाली प्रक्रियाएं जैसे कि बोन मैरो निकालना या लंबर पंक्चर के लिए आमतौर पर कैंसरविज्ञान क्लिनिक कई दर्द प्रबंधन विकल्प प्रदान करते हैं। सर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान रोगियों को दर्द की दवाइयां या एनेस्थिसिया (बेहोशी की दवा) दिया जाता है।

दर्द प्रबंधन दवाओं में ये शामिल हो सकते हैं

  • शरीर में जगह को सुन्न करने के लिए त्वचा पर क्रीम और पैच लगाना।
  • हल्की बेहोशी – आराम या थोड़े समय की नींद के लिए दवाई।
  • लोकल एनेस्थिसिया (बेहोशी की दवा) – शरीर के एक विशिष्ट जगह को सुन्न करना।
  • पूर्ण एनेस्थिसिया ( बेहोशी ) – रोगी सोता है और उसे प्रक्रिया का पता नहीं चलता है।

तीव्र दर्द

किसी विशिष्ट प्रक्रिया जैसे कि सर्जिकल प्रक्रिया के कारण तीव्र दर्द तेजी से होता है। यह निर्धारित करने के लिए कि कौन सी दवाई का उपयोग करना है, चिकित्सक कई कारकों पर विचार करते हैं। इसमें दर्द का कारण, दर्द का स्तर और यह रोजमर्रा की जिंदगी में रोगी की कार्य करने की क्षमता पर प्रभाव शामिल हैं ।

सामान्य तौर पर दर्द को ऊतक-संबंधी या नस-संबंधी दर्द के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

  • ऊतक-संबंधी दर्द (जिसे नोसीसेप्टिव या आंत का दर्द भी कहा जाता है) ऊतकों, अंगों या हड्डियों को नुकसान के कारण होता है। आमतौर पर दर्द की संवेदना ऐसी महसूस होती है जैसे किसी ने छुरा मार दिया हो या पीड़ा या टीस हो रही है। दर्द आ और जा सकता है या लगातार हो सकता है।
  • नस संबंधी दर्द (न्यूरोपैथिक) – नस की चोट के कारण इस प्रकार का दर्द होता है। कुछ कीमोथेरेपी दवाएं, विशेष रूप से विन्क्रिस्टाईन से नस में चोट लग सकती है। दर्द को अक्सर एक तेज़ या जलन जैसा दर्द या झुनझुनी कहा जाता है। यह अपने आप खत्म हो सकता है लेकिन यह अक्सर क्रॉनिक (पुराना) होता है।

दर्द के इलाज

हल्का दर्द

हल्के दर्द के लिए चिकित्सक एसिटामिनोफे़न या गैर-स्टेरॉयड एंटी-इन्फ़्लेमेटरी दवा (एनएसएआईडी) एनसैड जैसे आइबुप्रोफ़ेन या नेपरोक्सन दे सकते हैं।

अन्य एनएसएआईडी (एनसैड) जो निर्धारित किए जा सकते हैं उनमें सेलेकोक्सीब, कोलीन मैग्नीशियम ट्राइसीसिलेट और केटोरोलैक शामिल हैं। हालांकि, एनएसएआईडी (एनसैड) को कुछ कीमोथेरेपी दवाओं जैसे उच्च-खुराक मेथोट्रिक्सेट के साथ कभी नहीं दिया जाता है। रेये के सिंड्रोम के साथ संबंध होने के कारण कोलीन मैग्नीशियम ट्राइसीसिलेट का अनुमानित या प्रमाणित वायरल सिंड्रोम के मामलों में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

मध्यम दर्द

मध्यम दर्द के लिए चिकित्सक नशीले पदार्थ वाली दवाएं जैसे कोडीन, ऑक्सीकोडोन और हाइड्रोकोडोन को लिख सकते हैं।

गंभीर दर्द

अधिक गंभीर दर्द के लिए चिकित्सक नशीले पदार्थ वाली दवा मॉर्फ़िन लिख सकते हैं। जब लंबे समय तक चलने वाले दर्द की उम्मीद की जाती है तो रोगियों को एक रोगी-नियंत्रित दर्द हटाने वाली दवा (पीसीए) दी जा सकती है। यह विधि रोगियों या कुछ मामलों में माता-पिता को दर्द की दवा की मात्रा को नियंत्रित करने की अनुमति देती है।

नस संबंधी दर्द के लिए निर्धारित दवाओं में गैबापेंटिन, दौरे की दवा और ऐमिट्रिप्टिलाइन अवसाद की दवा शामिल हो सकती है। कुछ मामलों में चिकित्सक स्टेरॉयड दवाओं को लिख सकते हैं।

दवा देने के तरीके

रोगियों को दर्द की दवा मिल सकती है:

  • निगल कर
  • सुई के माध्यम से शिरा में
  • पीठ में एक विशेष नली से
  • त्वचा पर एक पैच के माध्यम से

नर्व ब्लॉक

नर्व ब्लॉक उपचार का एक अन्य विकल्प है। इसमें दर्द को अवरुद्ध करने के लिए या तो एक उस भाग को सुन्न करने वाली दवाई (लोकल एनेस्थिसिया) दी जाती है या नस के आसपास या नस में दवा का इंजेक्शन दिया जाता है। नस ब्लॉक ऐसे दर्द को नियंत्रित करने में मदद करते हैं जिन्हें अन्य तरीकों से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

चिकित्सा / दवाई सुरक्षा

रोगियों को दर्द की दवा अस्पताल या घर पर दी जा सकती है।

  • यह महत्वपूर्ण है कि रोगियों को उचित समय पर उचित खुराक में दवाई मिले।
  • रोगियों को केवल चिकित्सक से अनुमोदित दवाई ही दी जानी चाहिए, जिनमें बिना पर्ची के दवाएं भी शामिल हैं। कुछ दवाएं अन्य इलाज़ो में हस्तक्षेप कर सकती हैं जैसे रक्तस्राव या मौजूदा दुष्प्रभावों को बढ़ा सकती हैं।
  • भले ही दर्द कम हो जाए लेकिन रोगियों को दर्द दवाओं को अचानक लेना बंद नहीं करना चाहिए। धीरे-धीरे दर्द की दवाओं को रोकने से दुष्प्रभावों से बचने में मदद मिलती है। धीरे-धीरे दवा छोड़ने से शरीर दवा की कमी के अनुसार ढल जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि रोगी को लत लग गयी है।

परिवार अक्सर दर्द की दवाओं जैसे कि नशीले पदार्थों की लत से डरते हैं लेकिन कैंसर का इलाज कराने वाले बच्चों में नशे की लत के कोई सबूत नहीं हैं। परिवारों को कोई भी चिंता होने पर चिकित्सा टीम के साथ चर्चा करनी चाहिए।


समीक्षा की गई: जून 2018