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शिशुओं में एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल)

शिशुओं में एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) कम ही पाया जाता है। यूएस में प्रति वर्ष 1 या उससे कम आयु के लगभग 90 मामले पाये जाते हैं – जो कि बचपन में होने वाले एएलएल मामलों का लगभग 3 प्रतिशत है। यहां तक कि सबसे बड़े बाल चिकित्सा कैंसर केंद्रों में भी साल भर में कुछ ही मामले देखने को मिलते हैं।

रोग की पहचान

एएलएल रोग की पहचान करने में शारीरिक जांच, चिकित्सकीय इतिहास,खून की जांच, हड्डी के अंदर से बोन मैरो और टुकड़ा निकालना, तथा लंबर पंक्चर शामिल हैं। जांच विशिष्ट प्रकार के एएलएल को निर्धारित करने तथा गुणसूत्र परिवर्तनों, वंशाणुओं, प्रोटीनों और खून के कैंसर में शामिल अन्य कारकों की पहचान करने के लिए की जाएंगी। इस जानकारी से इलाज की पद्धतियों और पूर्वानुमानित इलाज परिणाम (पूर्वानुमान) पर प्रभाव पड़ेगा।

शिशु एएलएल बड़े बच्चों में होने वाले एएलएल से जैविक रूप से भिन्न होता है। यह आमतौर पर बहुत आक्रामक होता है। अधिकांश शिशुओं – ज़्यादा से ज़्यादा 80% -- के वंशाणु में एमएलएल (मिक्स्ड लाइनेज ल्यूकेमिया) नामक एक पुनर्व्यवस्था होती है। एमएलएल का एक दूसरा नाम केएमटी2ए है।

इलाज

शिशुओं में होने वाले एएलएल का प्रमुख इलाज कई विभिन्न दवाइयों के साथ कीमोथेरेपी है। इलाज के विभिन्न चरण हैं। यह आमतौर पर लगभग 2 वर्ष तक चलता है। कीमोथेरेपी दवाइयों में साइक्लोफॉस्फोमाइड, साइट्राबाइन, डूनोरूबिसिन, डेक्सामिथेसोन, इरविन एस्परगिनास, इटॉप्साइड, मेथोट्रिक्सेट, ल्यूकोवोरिन, मर्कैप्टोप्यूरिन, मिटोक्सेंट्रोन, पेगास्पारगेज़, प्रेडनिसोन, थायोगुआनिन, और विन्क्रिस्टाईन शामिल हैं।

कुछ रोगियों में हेमाटोपोईएटिक कोशिका प्रत्यारोपण (इसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के रूप में भी जाना जाता है) किया जा सकता है।

चिकित्सक शिशु एएलएल के इलाज के लिए जोखिम-स्तरीकृत दृष्टिकोण अपनाते हैं। सामान्यत:, इस दृष्टिकोण का अर्थ यह है कि जिन रोगियों में रोग के वापस आने का खतरा अधिक है उन्हें कम जोखिम वाले रोगियों की तुलना में अधिक गहन चिकित्सा प्राप्त होगी।

जोखिम श्रेणी निर्दिष्ट करते समय चिकित्सक निम्नलिखित बातों पर विचार करते हैं:

  • एमएलएल पुनर्व्यवस्था की उपस्थिति या अनुपस्थिति: यह पुनर्व्यवस्था, इलाज के प्रति खराब प्रतिक्रिया को दर्शाता है।
  • आयु: 6 महीने से कम आयु के शिशुओं की तुलना में 1 वर्ष की आयु के आस-पास के शिशु आमतौर पर बेहतर प्रतिक्रिया दिखाते हैं।
  • सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या: रोग की पहचान करने में बहुत अधिक सफेद रक्त कोशिका गणना इलाज के प्रति खराब प्रतिक्रिया को दर्शाती है।
  • प्रारंभिक इलाज के प्रति प्रतिक्रिया का समय: यदि रोगी प्रारंभिक इलाज के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाते हैं, तो उन्हें कम जोखिम वाला माना जाता है।

पूर्वानुमान

एएलएल से पीड़ित शिशुओं में जीवित रहने की दर 50% से कम है।

रोग का वापस आना

एमएलएल(KMT2A) पुनर्व्यवस्था वाले शिशुओं में रोग के वापस आने का खतरा अधिक होता है। लगभग दो-तिहाई शिशुओं में रोग की पहचान होने के एक वर्ष के अंदर ही रोग वापस आ जाएगा। वर्तमान में, 1 वर्ष से कम आयु के बच्चों में वापस हुए एएलएल के लिए कोई इलाज संबंधित प्रोटोकॉल नहीं हैं।

इलाज के दुष्प्रभाव

रोगियों में इसके दुष्प्रभाव अलग-अलग होते हैं। देखभाल टीम दुष्प्रभावों को जितना संभव हो रोकने और/या कम करने का प्रयास करने के लिए परिवारों के साथ मिलकर कार्य करेगी। टीम बारीकी से दुष्प्रभावों को मॉनिटर करेगी ताकि उनका इलाज किया जा सके। 

शिशु विशेष रूप से निम्नलिखित के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं:

  • संक्रमण, खासतौर पर सांस लेने संबंधी (जैसे रेस्पिरेटरी सिंसिटियल विषाणु (आरएसवी))
  • म्यूकोसिटिस (मुंह के घावों सहित)
  • जिगर और गुर्दों पर विषैले प्रभाव
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान

शोध

वैज्ञानिक और चिकित्सक इलाज के विकल्पों को बेहतर बनाने के लिए लगातार अंतर्राष्ट्रीय सहकारी समूहों के साथ मिल-जुलकर कार्य करते हैं।

इलाज दरों को सुधारने के लिए तैयार की गई नई चिकित्साओं को आज़माने के लिए बीमारी के परीक्षण जारी हैं।

  • अध्ययन के अंतर्गत एक इलाज पद्धति, शिशुओं में एएलएल का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली मानक कीमोथेरेपी में बोरटेज़ोमिब और वोरिनोस्टैट नामक 2 नई कैंसर-रोधी दवाओं को शामिल करती है।
  • एक अन्य अध्ययन मानक कीमोथेरेपी दवाओं के संयोजन में दवा अज़ासाइटिडिन का उपयोग करके मूल्यांकन कर रहा है।


समीक्षा की गई: दिसंबर 2018