एक सब्क्यूटेनियस पोर्ट एक केंद्रीय शिरापरक कैथेटर होता है, जो कि पूरी तरह से त्वचा के नीचे स्थित होता है। इस पोर्ट के ज़रिए एक विशेष सुई की मदद से, जिसे ह्यूबर सुई कहा जाता है, दवाई दी जाती है। सुई लगाने से पहले उस स्थान पर सुन्न करने वाली क्रीम का उपयोग किया जा सकता है। इस उपकरण को पोर्ट-ओ-कैथ, इम्प्लांटेबल पोर्ट या सब्क्यूटेनियस इन्फ़्यूज़ापोर्ट भी कहा जाता है।
यह पोर्ट बिल्कुल त्वचा के नीचे, आमतौर पर सीने में स्थित होता है। यह एक छोटी डिस्क होती है और इसका केंद्र उभरा हुआ होता है। कैथेटर को पोर्ट के आधार से जोड़ा जाता है और नसों तक ले जाया जाता है। डिस्क का केंद्र, जिसे सेप्टम कहा जाता है, रबर से बना हुआ उभरा हुआ हिस्सा होता है। दवाएं या अन्य द्रवों को सेप्टम में डाला जाता है और वह कैथेटर से होते हुए नसों में जाते हैं। इस पोर्ट के 1 या 2 एक्सेस पॉइंट हो सकते हैं (सिंगल ल्यूमेन या डबल ल्यूमेन)।
कैंसर के इलाज के दौरान सब्क्यूटेनियस पोर्ट को लगाना एक आम प्रक्रिया है और इससे रोगी और उसके परिवार को महत्वपूर्ण लाभ मिलता है। हालांकि, एनेस्थीसिया और सर्जरी में हमेशा जोखिम बना रहता है। सुई डालने के दौरान होने वाले मुख्य जोखिमों में खून का बहना, फेफड़ों या रक्त वाहिकाओं में छेद होना, खून का थक्का जमना, दिल की धड़कन का अनियमित होना, तंत्रिकाओं को चोट पहुंचना और संक्रमण शामिल हैं। लाइन प्लेसमेंट के बाद, खून का थक्का जमना, कैथेटर का अपने जगह से हिलना और संक्रमण सबसे आम जटिलताएं हैं। पोर्ट को निकालने के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता होती है। गंभीर समस्याएं बहुत कम ही होती हैं, लेकिन होती हैं। देखभाल टीम से सवाल ज़रूर पूछें और उनके द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करें।
पोर्ट को लगाने के लिए बच्चों को एनेस्थीसिया दिया जाएगा। उन्हें प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द नहीं होगा न ही वे पूरे होश में रहेंगे। प्रक्रिया के पहले रोगियों को भोजन और पानी कम करने के लिए एनपीओ निर्देश दिए जाएंगे। इन दिशानिर्देशों का पालन करना बहुत ज़रूरी है। एनेस्थीसिया और रिकवरी के समय को मिलाकर प्रक्रिया में लगभग कुल 1-2 घंटे लगते हैं।
एक नर्स परिवार के लोगों को सब्क्यूटेनियस पोर्ट के लिए की जाने वाली देखभाल के बारे में जानकारी देगी। पोर्ट में प्रत्येक 4 सप्ताह हेपरिन डाल कर साफ़ किया जाना चाहिए। हेपरिन एक ऐसी दवा होती है जो खून का थक्का जमने से रोकती है ताकि नली खुली रहे। इलाज के दौरान, पोर्ट में एक खास सुई डाली जाती है और उस स्थान पर ड्रेसिंग की जाती है। प्रत्येक 7 दिनों में सुई बदलना आवश्यक है और ड्रेसिंग को साफ़ और सूखा रखना चाहिए। जब पोर्ट का उपयोग नहीं हो रहा है तो सुई को निकाल लिया जाता है और रोगी अपनी ज़रूरी दैनिक काम कर सकता है।
कुछ दिनों के लिए उस स्थान पर घाव रहेगा। जहां चीरा लगाया गया था वहां कुछ टांके लगाए जाएंगे। उस स्थान पर थोड़ी सूजन या घाव रह सकता है। 6 सप्ताह के लिए कोई मेहनत वाला काम न करें या जब तक चिकित्सक न सलाह दे, ऐसा कोई काम न करें।
जब ह्यूबर सुई का इस्तेमाल करके कैथेटर तक पहुंचा जाता है, तो वहां चुभेगा यानी के “पोक” लगेगा। सिरिंज या किसी आईवी बैग के ज़रिए दवाई दी जा सकती है। अपनी दवाएं लेते समय अगर आपको कोई दर्द या परेशानी होती है तो नर्स को बताएं।
लाइन सही तरीके से काम करें और संक्रमण होने न पाए इसके लिए देखभाल संबंधी सभी निर्देशों का पालन करें। खेल कूद जैसी गतिविधियां न करें जिससे कि प्रत्यारोपण की गई कैथेटर की जगह पर प्रभाव पड़े।
सेंट्रल लाइन असोसिएटे़ड ब्लड स्ट्रीम इन्फेक्शन (क्लाब्सी) जानलेवा हो सकता है। दर्द होना, लाल होना, सूजन आना या बुखार आने जैसे किसी भी संक्रमण के लक्षण होने पर अपने चिकित्सक को कॉल करें।
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समीक्षा की गई: जून 2018