एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) वाले ज़्यादातर बच्चे मौजूदा पहली-पंक्ति चिकित्सा योजना से ठीक हो जाते हैं. लेकिन अमेरिका में 15-20 प्रतिशत बच्चों में — लगभग 600 बच्चों को — एएलएल दोबारा हो जाता है। भारत में यह गुना ज़्यादा बच्चों में हो जाता है।
जब कैंसर ठीक होने के बाद दोबारा हो जाता है, तो उसे रीलैप्स या रीकरेंस कहा जाता है.
जब लिंडसे का ल्यूकेमिया ठीक होने के बाद दोबारा लौट आया, तब उन्होंने अपने मुश्किल दौर में मदद पाने के लिए दूसरों की ओर रुख किया –भगवान, परिवार, दोस्तों, अस्पताल के कर्मचारियों और पूरे समुदाय का.
पूरा लेख पढ़ेंऐसे रोगी जिनके अभी-अभी पता लगा है कि उन्हें एएलएल है, उन रोगियों को चिकित्सा इतिहास की जांच/शारीरिक जांच, खून की जांच, बोनमैरो एस्पिरेट/बायोप्सी, लंबर पंचर, और छाती का एक्स-रे करवाना होगा.
बचपन में दोबारा होने वाला एएलएल, उपचार के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है. रोगियों का उपचार करने के लिए आक्रामक कीमोथेरेपी की ज़रूरत पड़ सकती है.
दवाओं में डेक्सामिथेसोन, विन्क्रिस्टाईन, क्लोफैराबीन, साइक्लोफॉस्फोमाइड, इटॉप्साइड, पेगास्पारगेज़, मेथोट्रिक्सेट, मर्कैप्टोप्यूरिन, साइट्राबाइन, मिटॉक्सैनट्रोन, टेनिपोसाइड, या विनाब्लास्टाइन शामिल हो सकते हैं. टी-सेल एएलएल वाले रोगियों को नेलाराबिन दिया जा सकता है.
ऐसे रोगी जिन्हें दोबारा ल्यूकेमिया हो गया है, उनके उपचार के लिए हेमाटोपोईएटिक सेल ट्रांसप्लांट (जिसे बोनमैरो या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है) को अपनाया जा सकता है.
उपचार योजना में इम्यूनोथेरेपी या लक्षित थेरेपी जैसे उपचार के नए तरीके शामिल हो सकते हैं.
आक्रामक उपचार (रोग को दबाने के लिए उन पर हमला बोलने वाले उपचार) के गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं और उनसे गंभीर संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है. दुष्प्रभाव के रोकने, रोगियों और परिवारों को अतिरिक्त सहायता पाने के लिए शुरू से ही प्रशामक देखभाल विशेषज्ञ शामिल किए जा सकते हैं. संक्रमण को रोकने और अगर संक्रमण हो गया हो तो उसका इलाज करने के लिए संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ माता-पिता के साथ मिलकर काम कर सकते हैं.
उपचार के तरीके और रोग का निदान तय करने लिए, डॉक्टर निम्न बातों पर विचार करते हैं:
बोनमैरो
केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली
अंडकोष (सिर्फ़ पुरुष)
जिस बच्चे को पहली चिकित्सा के पूरा होने के बाद 6 महीने के अन्दर-अन्दर दोबारा हो जाता है, ज़्यादा समय के बाद दोबारा होने वाले एएलएल वाले बच्चों की तुलना में इलाज़ मुश्किल होता है।
आमतौर पर, बी-सेल एएलएल में टी-सेल की तुलना में बेहतर उपचार मौजूद हैं.
इसके अलावा, पहले से तय किये समय समय पर देखभाल करने वाली टीम उपचार के असर और न्यूनतम अवशिष्ट रोग (मिनिमल रिज़िडूअल डिजीज़) पर भी नज़र रख सकती है। मिनिमल रिज़िडूअल डिजीज़ (एमआरडी) पाया जाने पर पूरा ठीक होने की संभावना कम नज़र आती है क्योंकि उन बच्चों में दोबारा कैंसर होने की संभावना ज़्यादा होती है।
कई वजहों से कैंसर दोबारा होने के दौरान जानलेवा संक्रमण का ख़तरा बहुत तेज़ी से बढ़ जाता है.
दोबारा होने वाले एएलएल के शिकार लगभग आधे बच्चों को ज़िंदगी के लिए ख़तरा पैदा करने वाला संक्रमण हो सकता है. संक्रमण की रोकथाम के ज़रिए बच्चों को गंभीर बीमारी का शिकार होने से बचाया जा सकता है. इसके अलावा, जो बच्चे प्रत्यारोपण करवाने वाले हैं, उन्हें किसी भी तरह का संक्रमण नहीं होना चाहिए.
संक्रमण को रोकने के मददगार तरीके
रोगियों को संक्रमण से बचने के लिए नाक और मुंह पर मास्क पहनने का निर्देश दिया जा सकता है.
त्वचा की देखभाल महत्वपूर्ण है. संक्रमण से लड़ने के मामले में शरीर की त्वचा एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा कवच की तरह काम करती है. जब त्वचा कहीं से फट जाती है, जैसे कि चोट लग जाए, तो शरीर संक्रमण की चपेट में आ जाता है. रोगियों और उनके परिवार वालों को सुझाव दिया जाता है कि वह मुंह (मुंह के अंदर) की देखभाल और पेरिआनल क्षेत्र (गुदा के पास) की देखभाल के मामले में देखभाल करने वाली टीम के निर्देशों का पालन करें.
एंटीबायोटिक या एंटिफ़ंगल दवाओं का इस्तेमाल अक्सर दोबारा होने वाले ल्यूकेमिया के उपचार से गुज़र रहे रोगियों में संक्रमण रोकने के लिए किया जाता है. अगर ये दवाएं नियमित तौर पर ली जाएं तो ये कई तरह के संक्रमणों को रोक सकती हैं.
रोगी के वेनस ऐक्सेस कैथेटर की देखभाल के लिए परिवार वालों को यही सुझाव दिया जाता है कि वह देखभाल करने वाली टीम के निर्देशों का पालन करें. आमतौर पर संक्रमण इसी जगह पर होता है.
रोगी के आस-पास मौजूद रहने वाले लोगों को अपने हाथ बार-बार धोना चाहिए या उन्हें साफ़ रखना चाहिए. मरीजों को उन लोगों के आसपास नहीं होना चाहिए जो बीमार हैं.
दर्द, जी मचलाना, कब्ज़, सांस की तकलीफ़, खुजली, बेचैनी और अवसाद उपचार के सामान्य दुष्प्रभाव के तौर पर सामने आ सकते हैं.
दुष्प्रभाव का उपचार करने के लिए, डॉक्टर दवाएं सुझा सकते हैं. उपचार के दूसरे तरीके जैसे कि इंटिग्रेटेड (पूरक) मेडिसिन असरदार साबित हो सकती है.
परिवारों को सहायता पाने के लिए विशेषज्ञों की मदद लेने का सुझाव दिया जाता है, जिनमें प्रशामक देखभाल पेशेवर, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता, म्यूज़िक थेरेपिस्ट, चैपलिन (पादरी/पुजारी), और बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हैं.
अभी 30-50% रोगी ल्यूकेमिया दोबारा होने के बाद बच जाते हैं। कुछ बच्चे में ल्यूकेमिया बार-बार वापिस आ जाता है। जितनी बार ल्यूकेमिया वापिस आता है, उतना ही ठीक होनें की उम्मीद कम हो जाती है।
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समीक्षा की गई: दिसंबर 2018