क्रोनिक मिलॉइड ल्यूकेमिया, ख़ून और बोनमैरो का कैंसर है.
बोनमैरो में बहुत ज़्यादा कैंसर की कोशिकाएं बनने पर ल्यूकेमिया होता है. इन कोशिकाओं को ‘ब्लास्ट’ कहा जाता है. जैसे-जैसे 'ब्लास्ट' बढ़ते हैं और तेजी से विभाजित होते हैं, स्वस्थ रक्त कोशिकाएं अपना काम नहीं कर पाती हैं. खून का बहाव सही तरीके से नहीं हो पाता है. रोगी संक्रमण से ठीक से नहीं लड़ पाते हैं.
सीएमएल एक क्रोनिक ल्यूकेमिया है. यह समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है. हो सकता है कि बच्चों में इसके लक्षण कई हफ़्तों या महीनों के बाद दिखाई दें. उलटा, एक्यूट (तेज़ी से होनेवाला) ल्यूकेमिया बच्चों को बहुत जल्दी बीमार कर देता है. क्रोनिक का मतलब यह भी होता है कि ल्यूकेमिया लंबे समय तक रह सकता है.
सीएमएल बच्चों में बहुत कम होता है. हर साल अमेरिका और कनेडा में इसको केवल 110-120 बच्चों में पाया जाता है, लेकिन भारत में 500 से अधिक बच्चों में होता है।
ल्यूकेमिया से पीडित बच्चों और किशोरों में 2 से 3% को सीएमएल होता है।
सीएमएल से प्रभावित 90 से 95 प्रतिशत बच्चों के गुनतंत्र में बदलाव होता है, जिसे फ़िलाडेल्फिया क्रोमोसोम कहा जाता है। टायरोसिन काइनेज़ इनहिबिटर (टीकेाई) नाम की दवाई सबसे पहले दिया जाता है।
CML धीरे-धीरे बढ़ता है. हो सकता है कि CML वाले बच्चों में शुरुआत में लक्षण नज़र न आएं.
सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
CML के निदान के लिए की जाने वाली जांच में ये शामिल हो सकते हैं:
अगर जांच में सामने आता है कि कैंसर है, तो डॉक्टर कैंसर के प्रकार के बारे में बताने के लिए ज़्यादा जांच करवाने के निर्देश देंगे. इस जांच में ये शामिल हो सकते हैं:
CML के 3 चरण होते हैं. खून और बोनमैरो में ल्यूकेमिया (ब्लास्ट) कोशिकाओं की संख्या के हिसाब से तय किया जाता है कि कैंसर कौनसे चरण में है.
कैंसर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कौनसे चरण में है.
CML के लिए पहली-पंक्ति के उपचार के लिए आमतौर पर इमैटिनिब (Gleevec®) दवा इस्तेमाल की जाती है. यह टाइरोसिन काइनेज़ इन्हिबिटर (TKI) है. यह टाइरोसिन काइनेज़ एंज़ाइम को रोक सकता है. यह एंज़ाइम कैंसर कोशिकाओं को बेक़ाबू कर देता है.
अगर रोगी मरीज इमैटिनिब को बर्दाश्त नहीं कर पाता है, तो कभी-कभी डैसाटिनिब और निलोटिनिब नाम की दूसरी TKI दवाइयां का इस्तेमाल किया जाता है. इन दवाओं को कभी-कभी दूसरी पीढ़ी के TKI भी कहा जाता है.
उपचार के दौरान, डॉक्टर बारीकी से देखते हैं कि थेरेपी का रोगी पर क्या असर हो रहा है. इसे मॉनिटरिंग कहा जाता है.
मॉनिटरिंग में चिकित्सा का इतिहास, शारीरिक जांच, कंप्लीट ब्लड काउंट, साइटोजेनेटिक विश्लेषण और मोलेक्यूलर टेस्टिंग शामिल हो सकते हैं.
रोगियों को CML के उपचार के लिए बाकी की ज़िंदगी TKI लेना पड़ सकता है. आगे आने वाले समय में दवा का क्या दीर्घकालिक असर पड़ेगा अब तक इसकी जानकारी नहीं है.
बच्चों को वयस्कों में पाए जाने वाले खास तरह के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि विकास से जुड़ी समस्याएं, क्योंकि वे TKI दवाओं के साथ उपचार के दौरान सक्रिय रूप से बढ़ रहे हैं. युवा होने और प्रजनन क्षमता पर आगे आने वाले समय में क्या दीर्घकालिक असर पड़ेगा इसकी जानकारी नहीं है. रोगी और परिवार वालों को सुझाव दिया जाता है कि वे देखभाल करने वाली टीम से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बात करें.
CML के उपचार के लिए हेमाटोपोईएटिक कोशिका प्रत्यारोपण (जिसे बोनमैरो प्रत्यारोपण या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है) भी एक विकल्प है.
प्रत्यारोपण CML को ठीक कर सकता है. हालांकि, रोगी के पास एक उपयुक्त सेल डोनर होना चाहिए.
प्रत्यारोपण के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं.
निदान की चर्चा करते समय, डॉक्टर अक्सर एक संख्या का उपयोग करते हैं जिसे 5-साल तक ज़िंदा रहने की दर कहा जाता है. यह दर उन रोगियों का प्रतिशत है जो निदान के बाद कम से कम 5 साल तक ज़िंदा रहते हैं.
क्रॉनिक ल्यूकेमिया के लिए, 5 साल तक ज़िंदा रहने की दरें कम मददगार होती हैं क्योंकि बच्चे वास्तव में रोगमुक्त हुए बिना ल्यूकेमिया के साथ लंबे समय तक ज़िंदा रह सकते हैं. बच्चों के क्रोनिक मिलॉइड ल्यूकेमिया (CML) वालों के पांच साल तक ज़िंदा रहने की दर 90% है.
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समीक्षा की गई: सितंबर, 2019