कैंसर, किसी कोशिका के असामान्य तरीके से बढ़ने की बीमारी है. आमतौर पर, हमारे शरीर की कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और विभाजित होती हैं. जब सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है या कोशिकाएं पुरानी हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं और उनकी जगह स्वस्थ कोशिकाएं ले लेती हैं. कैंसर में कोशिका के विकास को नियंत्रित करने वाले संकेत ठीक से काम नहीं करते हैं. कैंसर की कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं और जब उन्हें रुकना चाहिए तो कई गुना बढ़ जाती हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो कैंसर कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं वाले नियमों का पालन नहीं करती हैं.
हर एक कोशिका ऐसे जींस से नियंत्रित होती है जो कोशिकाओं को निर्देश देते हैं कि उन्हें कैसे काम करना है, कब बढ़ना और कब विभाजित होना है. कैंसर शरीर की अपनी ही कोशिकाओं से विकसित होता है: किसी एक कोशिका के जीन के भीतर आने वाले बदलाव के साथ ही इसकी शुरुआत होती है. आनुवंशिक बदलाव या म्यूटेशन (कोशिका में आने वाली तब्दीली या हेर-फेर) किसी कोशिका के सामान्य कार्य में हस्तक्षेप कर सकते हैं. ज़्यादातर तब्दीलियां नुकसान नहीं पहुंचाती हैं, लेकिन कभी-कभी ये कोशिका के विकास को नियंत्रित करने में अड़चन पैदा कर देती हैं. ऐसा कभी-कभार ही होता है कि जीन में बदलाव सिर्फ़ इसलिए आएं क्योंकि माता-पिता के साथ भी ऐसा ही हुआ था. ज़्यादातर हेर-फेर अनायास होते हैं, वह भी तब, जब कोशिकाएं अलग-अलग हिस्सों में बंटती हैं. इतना ही नहीं, ये फेर-बदल ग़लती से होते हैं और अचानक होते हैं. बड़ों को होने वाले कैंसर के उलट, बच्चों को होने वाले कैंसर की वजह ज़िंदगी जीने के तौर-तरीके या पर्यावरण नहीं होते हैं. बल्कि, बच्चों को होने वाले कैंसर के ज़्यादातर मामले जीन में आने वाली तब्दीली का नतीजा होते हैं जो कि इत्तेफ़ाक से होता है.
कैंसर शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर उस सेल या टिशू के लिए किया जाता है जहां यह शुरू होता है. बच्चों में अलग-अलग तरह के लगभग 100 से ज़्यादा के कैंसर होते हैं. कोशिकाएं माइक्रोस्कोप में कैसे दिखती हैं और कोशिकाओं की आणविक और आनुवंशिक विशेषताएं कैंसर के विशिष्ट प्रकार को निर्धारित करने में मदद करने के लिए जानकारी देती हैं.
कई कैंसर कोशिकाओं के ढेर या गुच्छे बना लेते हैं, जिससे एक ठोस गांठ बन जाती है. दूसरे कैंसर, जैसे ल्यूकेमिया, खून के ज़रिए शरीर के बाकी हिस्सों में फ़ैलते हैं और एक जगह इकट्ठे नहीं होते हैं. जैसे ही ठोस गांठ बढ़ती है, कुछ कोशिकाएं शरीर के दूसरे हिस्सों में चली जाती हैं. इस प्रक्रिया को मेटास्टैसिस कहते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि कैंसर सीधे आस-पास के शरीर में फैल जाए।
वह स्थान जहां कैंसर सबसे पहले शुरू होता है, उसे प्राइमरी ट्यूमर कहा जाता है. मेटास्टैसिस कैंसर का नाम प्राइमरी ट्यूमर से लिया जाता है। उदाहरण के लिए, ओस्टियोसार्कोमा जो कि हड्डी में शुरू हो कर फेफड़ों में फैल गया को मेटास्टैसिस ओस्टियोसार्कोमा बोला जाता है, न कि फेफड़ों का कैंसर।
कैंसर कोशिकाओं में अक्सर ऐसे लक्षण होते हैं जिनसे उनके बढ़ने की संभावना बढ़ती हैं। कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेज़ी से विभाजित हो सकती हैं या जब उन्हें विभाजन रोकना होता है, तब भी वे विभाजित होना बंद नहीं करती हैं. कुछ कैंसर कोशिकाएं नए जीन म्यूटेशन विकसित करना जारी रखती हैं जिससे वे तेजी से बढ़ सकती हैं. कैंसर कोशिकाएं के बढ़ने से उनकी बनी हुई गांठ आस-पास के खून की नसों और तंत्रिकाओं पर दबाव ङाल सकता है जिससे शरीर के कई अंग सही तरीके से काम करना बन्द कर सकते हैं। कैंसर कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं के काम में अड़चन डाल सकती है।
बच्चों को होने वाले कैंसर के मुख्य उपचारों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, और लक्षित थेरेपी शामिल हैं. कैंसर के लिए कौनसा उपचार इस्तेमाल करना चाहिए या कौन से उपचारों का मेल करना चाहिए, यह कई बातों से तय होता है. इनमें शामिल है:
थेरेपी में आ रहे सुधारों की वजह से बचपन में होने वाले कैंसर के बाद ज़िंदा रहने वालों की दर में बढ़ोतरी हुई है, जो अमेरिका में अब औसतन 80% या उससे ज़्यादा है. हालांकि, दूसरे कैंसर के मामलों में रोग का निदान न होने से हालत अब भी बेहतर नहीं हुए हैं. वैज्ञानिक कैंसर की आनुवंशिक वजहों और कैंसर कोशिकाओं के खास लक्षणों के बारे में ज़्यादा जानने की कोशिश में जुटे हैं. ये खोजें बच्चों को होने वाले कैंसर के निदान और उसके उपचार को बेहतर बनाएंगी.
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समीक्षा की गई: जून 2018